नई दिल्ली। हाल ही में आए विधानसभा के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए खुशियां लेकर आई हैं. तो वहीं बहुजन समाज पार्टी चुनावी नतीजों से बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद गुरुवार 13 दिसंबर को बसपा अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली में समीक्षा बैठक की. इसमें चुनावी राज्यों के सभी प्रभारी और अध्यक्ष मौजूद थे. खबर है कि समीक्षा बैठक के दौरान मध्यप्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन से बसपा प्रमुख मायावती काफी नाराज रहीं. इस हार को लेकर बड़ी कार्रवाई करते हुए मायावती ने प्रदेश प्रभारी रामअचल राजभर और प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार को उनके पद से हटा दिया है. यहीं नहीं बल्कि बसपा प्रमुख ने बड़ा कदम उठाते हुए मध्यप्रदेश की पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी है. फिलहाल प्रदेश में नई नियुक्तियों में मुरैना के डीपी चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर है.
मायावती की नाराजगी की वजह भी है. इस बार सिर्फ दो विधायक भिंड से संजीव सिंह और पथरिया से रामबाई गोविन्द सिंह ही जीत पाए हैं. बसपा के लिए चिंता की बात यह भी रही कि इस बार कोई भी मौजूदा विधायक अपनी सीट नहीं बचा पाया. तीन राज्यों के चुनावी नतीजों में बसपा के लिए सबसे चिंता की स्थिति मध्यप्रदेश में है. 2008 के बाद बसपा यहां संभल नहीं पाई है. राज्य में उसकी सीटें और वोट शेयर दोनों गिरा है. 2008 में बसपा के पास 7 सीटें थी और उसका वोट प्रतिशत 8.97 था. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा को यहां 6.29 प्रतिशत वोट मिला था और उसने 4 सीटें जीती थी. इस बार उसकी सीटें दो हो गई हैं और वोट प्रतिशत भी घटकर 4.9 प्रतिशत हो गया है.
जबकि अगर बसपा की उम्मीदों की बात करें तो बसपा को सबसे ज्यादा उम्मीद मध्यप्रदेश में ही थी. उसे लग रहा था कि वह मध्यप्रदेश में किंग मेकर बनकर उभरेगी. बसपा की यह उम्मीद गलत नहीं थी. आंकड़ों से साफ है कि रीवा, सतना, दमोह, भिंड, मुरैना आदि जिलों में बसपा का काफी प्रभाव था. मध्यप्रदेश में जिस तरह आखिरी वक्त तक एक-एक सीट को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच रस्सा-कस्सी चलती रही, उस स्थिति में बसपा अगर अपने पिछले प्रदर्शन से थोड़ा भी बेहतर प्रदर्शन करती और दर्जन भर सीटें भी हासिल कर लेती तो वह किंगमेकर बनकर उभर सकती थी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका, ये तब है जब खुद मायावती ने प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा सभाएं की थी.
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