नई दल्ली। गुजरात के फायरब्रांड दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का कहना है कि देश में आज भी दलितों की सबसे बड़ी नेता मायावती ही हैं. 2019 के चुनाव में बीएसपी को लेकर उन्हें बहुत उम्मीदें हैं. चुनाव से पहले गठबंधन होगा. इसे कोई रोक नहीं सकता. मेवाणी मानते हैं कि भाजपा, संघ देश के संविधान पर संकट हैं.
मध्यप्रदेश में चुनाव अभियान शुरू कर चुके मेवाणी ने न्यूज 18 से खास बातचीत में कहा कि पूरे देशभर में दलित चेतना की शुरुआत हो चुकी है. जगह-जगह आंदोलन हो रहे हैं. ये भविष्य की तस्वीरें हैं. आज़ादी के बाद पहली बार दलितों में एक किस्म का अंडर करंट दिख रहा है. ये एक नया बदलाव लेकर आएगा.
मेवाणी दावा करते हैं कि आने वाले 10 साल में दलित समाज पूरी तरह से भाजपा से दूर हो जाएगा. हम इस पर काम कर रहे हैं. एट्रोसिटी एक्ट पर हुए संशोधन का कोई असर दलित समाज पर नहीं है. भाजपा भले ही उन्हें इस एक्ट के माध्यम से लुभाने का प्रयास कर रही है लेकिन इसका कोई असर 2019 के चुनाव पर नहीं होगा. इसका कारण है भाजपा के शासन में दलितों पर जितने जु़ल्म हुए हैं, उन्हें बांटने की कोशिश की गई है. ये सब बातें उनके ख़िलाफ जा रही हैं.
2019 के चुनाव और राजनीतिक हालातों पर मेवाणी कहते हैं कि उन्हें पूरा विश्वास है कि बसपा अपने फैसले को फिर बदलेगी. महागठबंधन होगा. आज भी जो चुनावी ताकत उनके पास है, दलितों वोट ट्रांसफर करने का जो पावर उनके पास है वो बहुत अहम भूमिका अदा करेगा. यह खुलकर स्वीकार करने वाली बात है कि आज भी दलितों के पास बहुत कम विकल्प हैं. और वे फिर घूमकर बसपा तक ही पहुंचते हैं.
जिग्नेश मेवाणी मानते हैं कि बसपा सुप्रीमो इस बात को समझती हैं और वो जानती हैं कि उन्हें वक्त के साथ बदलना होगा, वरना बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. इस सवाल पर कि देश भर में दलितों के आंदोलन हो रहे हैं कई नेता उभर रहे हैं लेकिन देश के सारे दलित नेता एक मंच पर क्यों नहीं दिखाई देते? इस पर वे कहते हैं कि ये आंदोलन कई लोगों और नेताओं का हो चुका है. सबके अपने-अपने व्यक्तिगत अहंकार हैं. जिसे कथित तौर पर सैद्धांतिक लड़ाई बताया जा रहा है. हर कोई यह जताने का प्रयास भी कर रहा है कि वो बाबा साहेब का सच्चा उत्तराधिकारी है.
जिग्नेश मेवाणी राजस्थान की ही तरह मध्यप्रदेश में भी अपना कैंपेन शुरू कर रहे हैं. उनका कहना है राजस्थान में भाजपा के खिलाफ 23 हज़ार से ज़्यादा दलितों ने झंडा उठा लिया है और वो भाजपा को वोट ना देने की बात कर रहे हैं. यही ताकत हम मध्यप्रदेश में पैदा कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य 50 हजार दलितों को एकजुट करने का है. ये सोशल मीडिया का ज़माना है और इसने देश के तमाम दलित युवाओं को आव्हान करते हुए एकजुट कर दिया है. मेवाणी कहते हैं कि उनका कैंपेन भाजपा-संघ जैसी फासीवादी ताकतों के ख़िलाफ है. वो कांग्रेस के लिए नहीं दलितों, दबे हुए वर्ग के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं.
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