नई दिल्ली। अरुणाचलप्रदेश के तवांग में तीन दिन पहले हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए 7 जवानों के शव पॉली बैग और गत्तों में लपेटकर गुवाहाटी तक लाए गए. रविवार को तस्वीरें वायरल होने पर विवाद छिड़ गया. सोशल मीडिया पर आलोचना और गुस्सा देख सेना को सफाई देनी पड़ी कि दुर्गम इलाके में बेहद असाधारण हालात और सीमित संसाधनों के चलते ऐसा करना पड़ा. भविष्य में शव उचित तरीके से लाए जाएंगे.
गौरतलब है कि शुक्रवार को एयरफोर्स का एमआई-17 हेलिकॉप्टर भारत-चीन बॉर्डर के पास तवांग में क्रैश हो गया था. हादसे में एयरफोर्स के पांच और सेना के दो जवानों की मौत हो गई थी. इनमें दो जवान झुंझुनं और जोधपुर के भी थे. इनके शव गत्तों और प्लास्टिक बैग में लपेटकर ले जाए गए.
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने इसकी तस्वीरें ट्विटर पर शेयर कर दीं. पनाग ने कहा कि सात जवान कल सूरज की रोशनी में अपनी मातृभूमि की सेवा में निकले और इस तरह वापस आए. मामले ने तूल पकड़ा. सूत्रों के अनुसार मामला रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण तक पहुंचा. उनके दखल पर सेना को सफाई देनी पड़ी.
सेना ने कहा कि शव 13 हजार फीट की ऊंचाई पर थे. वहां तक सड़क नहीं थी. शव जल्द से जल्द हटाने थे. हेलिकॉप्टर सभी शवों का वजन नहीं उठा सकता था. असामान्य हालात और समय की कमी के चलते बॉडी बैग या ताबूत के बजाय स्थानीय स्तर पर उपलब्ध साधनों में ही शव लपेटकर लाए गए. 6 अक्टूबर दोपहर 2 बजे गुवाहाटी बेस अस्पताल में शव पहुंचाए. उसके बाद पोस्टमार्टम सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी कीं. पोस्टमार्टम के बाद शव पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ लकड़ी के ताबूतों में रखवाए गए.
श्रद्धांजलि के बाद पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ आश्रितों को सौंपने के लिए शव भिजवाए गए. सेना ने कहा कि शहीदों के शवों को हमेशा सम्मान दिया गया है. आगे से शव बॉडी बैग, लकड़ी के बक्से या ताबूत में ले जाना सुनिश्चित करेंगे.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।