बुलंदशहर। आमतौर पर यह देखने में आता है कि दलित समाज के युवा छोटी नौकरियों के पीछे भागते हैं और सामाजिक एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण वह बड़े सपने देखने से डरते हैं। लेकिन गांवों से निकल कर शहर पहुंच चुके इस समाज की दूसरी पीढ़ी के युवा तमाम महत्वपूर्ण क्षेत्रों में झंडा गाड़ रहे हैं। वो ऐसे विभागों और क्षेत्रों में बहुत रहे हैं, जहां अब तक इस समाज के युवाओं की मौजूदगी नहीं के बराबर थी। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के मनीष कुमार सिंह ने एक बड़ी सफलता हासिल की है।
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शहर के यमुनापुरम के निवासी और एलआईसी में डीओ के पद पर कार्यरत बीरेन्द्र सिंह के पुत्र मनीष का चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में हुआ है। यह भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत आता है। मनीष का चयन ग्रुप ए में हुआ है और उनका पद वैज्ञानिक अधिकारी (Scientist) के पद पर हुआ है। मनीष के पिता बीरेन्द्र सिंह अंबेडकरवादी हैं और उन्होंने अपने सभी बच्चों को बाबासाहब डॉ. आंबेडकर के पदचिन्हों पर चलते हुए उच्च शिक्षा के लिए अक्सर प्रेरित किया है। मनीष सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय बहुजन नायकों के संघर्ष और अपने परिवार एवं मित्रों के सहयोग को दिया है।
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गौरतलब है कि मनीष सिंह की यह सफलता पूरे वंचित समाज के युवाओं के लिए प्रेरणा देने वाली है। मनीष की यह सफलता यह भी बताती है कि वंचित तबके के युवा अगर ठान लें तो हर क्षेत्र में परचम फहरा सकते हैं। मनीष की यह सफलता बहुजन युवाओं को बड़े ख्वाब देखने के लिए भी प्रेरित करने वाला है।

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