हिसार। दलित अत्याचार के सबसे चर्चित मामलों में शामिल मिर्चपुर कांड के वकील रजत कल्सन को हिसार कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासात में जेल भेज दिया है। शुक्रवार को हिसार पुलिस ने कल्सन को एक दिन का रिमांड लिया था। उसके बाद कोर्ट में आज पुलिस ने कल्सन को दोबारा पेश किया, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। कल्सन को 30 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया।
इसके बाद प्रदेश और देश भर के वकील समुदाय और सामाजिक संगठनों में गहरा आक्रोश है। कल्सन की गिरफ्तारी को न केवल कानून के दुरुपयोग के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे दलित समुदाय के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने वाले एक सशक्त आवाज़ को चुप कराने की कोशिश भी बताया जा रहा है।
क्या है मामला?
रजत कल्सन को 30 जुलाई 2025 को हिसार कोर्ट परिसर से उस समय गिरफ्तार किया गया जब उन्हें सोशल मीडिया पोस्ट के एक पुराने मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी थी। हालांकि कोर्ट से छूटने के तुरंत बाद पुलिस ने एक दूसरे मुकदमे में उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया, जिसमें आरोप है कि उन्होंने नशे में पुलिस से धक्का-मुक्की की, जिसमें एक एसआई घायल हो गया। पुलिस के मुताबिक, ऑटो मार्केट हिसार में एक नोटिस देने गई टीम के साथ कल्सन और उनके समर्थकों ने कथित रूप से बदसलूकी की। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को एक दिन का रिमांड भी मंज़ूर किया है।
वकीलों का जोरदार विरोध
रजत कल्सन की गिरफ्तारी के खिलाफ वकील समुदाय ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हांसी बार एसोसिएशन ने विरोधस्वरूप न्यायिक कार्यों से बहिष्कार किया है, जबकि हरियाणा एडवोकेट्स एसोसिएशन और कई सामाजिक संगठन इस कार्रवाई को लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं।
बीएसपी नेता कृष्ण जमालपुर ने कहा कि यह गिरफ्तारी न केवल संविधान विरोधी है, बल्कि यह दिखाता है कि सरकारें दलितों और उनके पक्षकारों को दबाना चाहती हैं। सोशल मीडिया पर भी #JusticeForKalsan और #StopDalitRepression जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
बता दें कि रजत कल्सन का नाम 2010 के मिर्चपुर दलित उत्पीड़न कांड से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने 18 जलाए गए घरों और दो दलितों की हत्या के मामले में पीड़ित पक्ष की पैरवी की थी। इस केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने 33 दोषियों को सजा सुनाई थी, जिनमें से 12 को उम्रकैद मिली। कल्सन की पहचान एक बेबाक, निर्भीक और समर्पित दलित वकील के रूप में होती है। वह गोहाना कांड, दबारा गैंगरेप, भटका गांव हत्या जैसे मामलों में भी पीड़ित दलित पक्ष की तरफ से पैरवी कर चुके हैं। उन्हें कई बार जान से मारने की धमकी मिली, लेकिन उन्होंने सत्य और न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी।
सुरक्षा हटाना पड़ा भारी
रजत कल्सन की सुरक्षा कुछ महीनों पहले हटा दी गई थी, जबकि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने खुद हरियाणा सरकार को पत्र भेजकर चेताया था कि उन्हें खतरा है। बावजूद इसके, सरकार ने न केवल सुरक्षा वापस ली, बल्कि अब उन्हें लगातार मामलों में फंसा कर जेल भेजने की कोशिश की जा रही है। यहां सवाल उठता है कि क्या एक वकील को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद फिर से गिरफ्तार करना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं है? या फिर रजत कल्सन को दलितों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने की सजा दी जा रही है?