नई दिल्ली। कुमार विश्वास का एक बेहद दिलचस्प पोस्टर सामने आया है जो आम आदमी पार्टी में विवाद की नई वजह बन सकता है. इस पोस्टर में अरविंद केजरीवाल के चेहरे को पीछे छुपाते हुए कुमार विश्वास सामने खड़े नजर आ रहे हैं. हालांकि खुद कुमार ने इसी 26 नवंबर को रामलीला मैदान के मंच से चेहरों की राजनीति करने पर सवाल खड़े किए थे.
रामलीला मैदान में भी दिया था ‘बगावती बयान’
रविवार 3 दिसंबर को कुमार विश्वास दिल्ली के पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं लेकिन इसके लिए जो पोस्टर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है उससे पार्टी का अंदरूनी विवाद बढ़ सकता है. यह पोस्टर तब सामने आया है जब पार्टी के 5 साल पूरे होने पर रामलीला मैदान से कुमार ने तंज कसते हुए कहा था कि कार्यकर्ताओं की आवाज को पार्टी में नही सुना जा रहा है इसलिए उनसे संवाद जरूरी है.
शुरू हो चुका है ‘ट्विटर-वॉर’
यह पोस्टर आम आदमी पार्टी के राजस्थान ट्विटर हैंडल के अलावा खुद कुमार विश्वास ने भी री-ट्वीट किया है. इस पोस्टर के सोशल मीडिया में आने के बाद केजरीवाल और कुमार विश्वास के समर्थक आपस मे भिड़ते नजर भी आ रहे हैं. दो गुटों के बीच तंज कसे जा रहे हैं और जमकर बहसबाजी भी हो रही है.
नई कलर-करैक्टिड Photoshopped Album की चकाचौंध में जो लोग अपने पहचान-पत्रों में लगे पुराने Passport Size Photo को भूल जाते हैं,उनकी शिनाख्त तक ख़त्म हो जाती है??#WednesdayWisdom
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) November 29, 2017
एक मंच पर थे केजरी-कुमार, फिर भी नहीं हुई बा
रामलीला मैदान में स्थापना दिवस के आयोजन पर मंच पर अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास साथ-साथ बैठे रहे लेकिन दोनों के बीच बातचीत ना के बराबर थी. दिलचस्प बात यह भी रही कि इसी मंच पर कुमार के खिलाफ बयान देने के बाद सस्पेंड होकर भी पार्टी में वापसी करने वाले अमानतुल्लाह खान भी मौजूद नजर आए.
‘ट्वीट’ भी निशानेदार
इसी बीच कुमार विश्वास ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ऐसी बात लिखी है जो दोनों आप नेताओं में लंबे समय से चल रहे ‘शीत-युद्ध’ की ओर इशारा करता है. कुमार विश्वास ने लिखा है, “जो लोग फोटोशॉप्ड एलबम के चकाचौंध में जो लोग अपने पहचान-पत्रों में लगे पुराने पासपोर्ट साइज फोटो को भूल जाते हैं, उनकी शिनाख्त तक खत्म हो जाती है.” साफ जाहिर है कि यह ट्वीट किस पर निशाना साध रहा है क्योंकि मीडिया की चकाचौंध में इन दिनों कौन है वह जगजाहिर है.
आज तक से साभार

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।