यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की अगुआई वाली बहुजन समाज पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक सीट जीतकर दक्षिण भारत में फिर से अपनी दस्तक दे दी है. बसपा के प्रत्याशी एन. महेश ने चामराजनगर जिले के कोल्लेगल विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल कर दक्षिण में बसपा का परचम बुलंद किया है. बसपा उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार ए.आर. कृष्णमूर्ति को 19,454 मतों के अंतर से पराजित किया. इस सीट पर बसपा को 71792 वोट मिले. भाजपा इस सीट पर तीसरे नंबर की पार्टी रही. महेश कर्नाटक में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.
इससे पहले राज्य में आखिरी बार बसपा 1994 में जीती थी जब उसने बीदर सीट पर कब्जा किया था. बसपा के लिए वर्तमान चुनाव में जीती गई कोल्लेगल की सीट इस लिहाज से भी अहम है कि यहां पर 1 मई को पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार करने आए थे, लेकिन महेश की मेहनत के आगे मोदी का प्रचार भी काम नहीं आया, और महेश ने इस सीट को जीतकर दक्षिण में बसपा को बड़ी संजीवनी दे दी.
कोल्लेगल क्षेत्र में महेश की मेहनत और लोकप्रियता को देखते हुए स्थानीय लोग भी यह मान रहे थे कि महेश यह सीट आराम से जीत लेंगे. यह बात भाजपा को भी यह पता था. यही वजह है कि भाजपा ने महेश को लुभाने की भी कोशिश की. उन्हें हर तरह से ऑफर देकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने को कहा गया. महेश खुद बताते हैं, “बीजेपी हमें लुभाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उन्हें पता था कि हम चमराजनगर की यह सीट जीत जाएंगे और पुराने मैसूर में जेडीएस की मदद कर उनकी सीट को नुकसान पहुंचाएंगे.”
लेकिन पक्के अम्बेडकरवादी महेश ने पैतरा नहीं बदला बल्कि और मजबूती से चुनाव की तैयारियों में जुट गए. यह महेश के ऊपर अम्बेडकरवादी विचारधारा का प्रभाव रहा कि महेश ने लगातार संघर्ष किया लेकिन पार्टी का दामन नहीं छोड़ा. यह भी नहीं है कि महेश पहली बार में ही चुनाव जीत गए, बल्कि वह सालों तक लगे रहे. महेश कहते हैं-“मैंने 2004 में चौथे नंबर के प्रत्याशी की तरह शुरुआत की थी, 2009 में तीसरे नंबर पर रहा, 2013 में दूसरे और अब आखिरकार मैं जीत गया. यह एक लड़ाई है जो हम दलितों ने बसपा के लिए इस राज्य में लड़ी है. हम खुश हैं कि बहनजी और देवेगौड़ा जी ने मिलकर दो समुदायों को बसपा-सपा की तरह जोड़ा.”
दूसरी ओर कर्नाटक में चल रहे नाटक के बीच 7 सीटों की जोड़-तोड़ में लगी भाजपा ने बसपा विधायक महेश से भी संपर्क किया. इनलोगों ने महेश से भी भाजपा के लिए समर्थन मांगा. इस पर महेश ने यह कहते हुए भाजपा नेताओं का मुंह बंद करवा दिया कि हमारी नेता मायावती जी से संपर्क करो.
महेश अम्बेडकरी-फुले विचारधारा के पक्के आदमी हैं. चाहे वाल्मीकि जयंती हो, अम्बेडकर जयंती या फिर अन्य बहुजन संतों-महापुरुषों की जयंती, महेश सोशल मीडिया के जरिए शुभकामना देना नहीं भूलते. महेश के फेसबुक के कवर पेज पर चस्पा तथागत बुद्ध की तस्वीर महेश के व्यक्तित्व के एक और पहलू को उजागर करता है. फिलहाल महेश कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बनने की स्थिति में मंत्रीपद की आस लगाए बैठे हैं. महेश की जीत दक्षिण भारत में बसपा और अम्बेडकरवाद दोनों के लिए बड़ी खबर है.
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अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।
मिशनरी व्यक्तित्व को जय भीम