नई दिल्ली। सहारनपुर हिंसा के बाद सुर्खियों में आई भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर और दूसरे प्रदेशों से यूपी में सक्रिय जिग्नेश मेवानी सहित कई युवा नेताओं की बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ जुगलबंदी अब बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनने लगी है. दलित नेताओं का एक सुर में बोलना, दलित वोटबैंक की आस लगाई बीजेपी के लिए अब सियासी टेंशन का कारण बन गया है. वहीं राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि युवा दलितों की यह एकजुटता बीएसपी के लिए संजीवनी और बीजेपी के लिए खतरा बन सकती है. इस बात को समझ रही बीजेपी भले ही अंदरखाने में मंथन कर रही हो, लेकिन संगठन की ओर से सार्वजनिक तौर पर अब तक इसपर कुछ भी कहने से बचा जा रहा है.
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले से ही यूपी की दलित राजनीति में लगातार उलटफेर दिख रहा हैं. भीम आर्मी, विधायक जिग्नेश मेवाणी और बीएसपी एकजुट होते नजर आने लगे हैं. भीम आर्मी के चंद्रशेखर की मौजूदगी में जिग्नेश ने जिस तरह मंगलवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के लिए खुला ऐलान किया है, उसके कई सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. माना जा रहा है कि दलितों में मायावती को सियासी रहनुमा मानने का साफ संदेश मिलने के बाद चंद्रेशखर के रुख में बदलाव आया है.
बीएसपी को ही मजबूत करना चाहते हैं दलित नेता
सियासी जानकार मान रहे है कि दलितों के वोटबैंक को अपने साथ रखने के उद्देश्य से चंद्रशेखर लगातार बैकफुट पर हैं. इसके अलावा विधायक जिग्नेश मेवाणी भी चाहते है बीजेपी के दलित जोड़ अभियान में चंद्रशेखर शामिल ना हों. माना जा रहा है कि अगर दलित समुदाय का एक एक छोटा हिस्सा भी बीजेपी के साथ जाता है तब नुकसान संभावित गठंबधन को होगा. ऐसे में मेवाणी दलित कार्ड खेलकर इस वोटबैंक को मायावती के साथ ही रखना चाहते हैं. इसे लेकर मेवाणी के अलावा कभी मायावती के बेहद खास रहे जयप्रकाश समेत कई दलित नेता भी लगातार चंद्रशेखर से संपर्क में हैं.
सियासी गणित ने बढ़ाई बीजेपी की परेशानी
दलित नेताओं की जुगलबंदी और मायावती से नजदीकी होने को बीजेपी के लिए बड़ी चिंता बताया जा रहा है. बीजेपी के एक प्रदेश स्तरीय नेता का कहना है कि शब्बीरपुर और दो अप्रैल की हिंसा के बाद भले ही पार्टी दलितों को साधने की लाख कोशिश कर ले लेकिन जैसा साथ हमारी पार्टी उनका चाहती है, वह मिलना फिलहाल मुश्किल ही दिखता है. इस नेता की मानें तो पार्टी में कई लोगों ने हाईकमान को यह बताया है कि चंद्रशेखर लगातार दूसरे युवा नेता जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार के संपर्क में हैं. यही वजह है कि जेल से निकलकर चंद्रशेखर ने बीजेपी को लगातार कोसना शुरू किया है, जिसके कारण दलितों में उनकी विश्ववसनीयता भी बढ़ी है.
वहींं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर चंद्रमोहन का कहना है कि चंद्रशेखर दिग्भ्रमित हो रहे हैं. चंद्रमोहन ने कहा, अभी चंद्रशेखर का कोई स्टैंड नहीं हैं. दलित पहले से बीजेपी के साथ हैं. किसी के साथ आने से बीजेपी से दलितों का साथ छूटने वाला नहीं हैं.’ उधर, गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का कहना है कि वह पहले ही साफ कर चुके हैं कि मायावती के नेतृत्व में सभी मिलकर काम करेंगे और आने वाले चुनाव के लिए बीएसपी को मजबूत किया जाएगा. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर ने कहा, ‘बीएसपी प्रमुख हमारी वरिष्ठ नेता हैं और हम दलित लोग उन्हें मजबूती देने का काम करते रहेंगे.’
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