
सराईकेला मॉब लिंचिंग मामले में मृतक शम्स तबरेज की दो महीने पहले ही शादी हुई थी. 27 अप्रैल को उसका निकाह हुआ था. परिवारवालों के मुताबिक निकाह के लिए ही तबरेज पुणे से गांव आया था. निकाह के बाद ईद पर्व मनाने के लिए वह गांव में रुक गया था.
तबरेज के सिर से माता-पिता का साया बचपन में ही उठ गया था. आठ साल की उम्र में मां दुनिया छोड़कर चली गई. बारह साल होते-होते पिता चल बसे. तबरेज और उसकी इकलौती बहन का पालन-पोषण चाचा के घर हुआ. दो साल पहले बहन की शादी हुई. बहन की शादी के बाद तबरेज पुणे काम करने चला गया. वहां वह वेल्डिंग का काम करता था.
घटना के बाद पत्नी शाइस्ता परवीन का रो-रो कर बुरा हाल है. किसी तरह खुद को संभालते हुए शाइस्ता ने न्यूज-18 से बात की. शाइस्ता ने कहा कि उसे हर हाल में इंसाफ चाहिए. पिटाई करने वालों को कड़ी-कड़ी से सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने मुआवजे की भी मांग की है.
मृतक के चाचा मशरूम आलम का कहना है कि उन्हें कानून और संविधान पर पूरा भरोसा है. परिवार को न्याय मिले, इस दिशा में प्रशासन और सरकार को हर संभव कोशिश करनी चाहिए.
बता दें कि 17 जून की रात को मृतक तबरेज जमशेदपुर स्थित अपने फुआ के घर से अपने गांव कदमडीहा लौट रहा था. इसी दौरान धातकीडीह गांव में ग्रामीणों ने मोटरसाइकिल चोरी के आरोप में उसे पकड़ लिया और बांधकर रात भर पीटा. 18 जून की सुबह उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया. पुलिस ने पहले उसका इलाज सदर अस्पताल में कराया, फिर शाम को जेल भेज दिया.
22 जून की सुबह तबरेज को जेल से गंभीर हालत में सदर अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी. हालांकि मृतक के परिजनों के द्वारा उसके जिंदा होने का दावा कर उसे रेफर करने की मांग की गयी. अस्पताल प्रशासन ने उसे जमशेदपुर के टीएमएच अस्पताल रेफर कर दिया. वहां भी डॉक्टरों ने उसे मृत करार दिया. वापस सरायकेला लाकर शव का पोस्टमार्टम कराया गया.
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