नई दिल्ली। पिछले दिनों में सीवर में उतरने से एक के बाद एक हुई मौतों से सफाईकर्मियों का सरकार के खिलाफ गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा. इसके खिलाफ जंतर-मंतर पर उतरे हजारों सफाईकर्मियों और दलित समाज के लोगों ने सरकार और व्यवस्था के खिलाफ हल्ला बोल दिया. मंच पर मौजूद मृतक परिवारों के सदस्यों की मौजूदगी माहौल को गमगीन बनाए थी. इस दौरान मृतक परिवार के घरवालों ने अपनी आपबीती लोगों के सामने रखी.
इस विरोध प्रदर्शन को सफाई कर्मचारी आंदोलन के बैनर के तले बुलाया गया था. सफाईकर्मियों को समर्थन देने के लिए तमाम अन्य संगठन, छात्र और एक्टिविस्ट भी पुहंचे थे. उन्होंने अपने हाथों में तख्तियां थाम रखी थी, जिन पर लिखे स्लोगन सरकार और सभ्यता पर सवाल खड़े कर रहे थे. इस दौरान आंदोलनकारियों के निशाने पर केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक रहीं. सफाई कर्मचारी आंदोलन से लंबे वक्त से जुड़े राज वाल्मीकि ने तो मोदी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक को कठघरे में खड़ा कर दिया.
सफाई कर्मचारी आंदोलन के मुखिया और मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित बेजवाड़ा विल्सन के सब्र का बांध भी टूट पड़ा. सफाई कर्मियों को लेकर सरकारी अनदेखी पर उन्होंने जमकर अपना गुस्सा निकाला.
इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए राजनीतिज्ञ से लेकर बुद्धिजीवि तक पहुंचे. डी.राजा, वृंदा करात, अशोक भारती, कौशल पंवार, योगेन्द्र यादव और अरुंधती राय ने मंच पर पहुंच कर इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया.
आजादी के 7 दशक बाद भी एक के बाद एक सीवर में हो रही मौतें जहां सरकार को कठघरे में खड़ा करती है तो वहीं मानव सभ्यता पर भी सवाल उठाती है.
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“सीवर में मौत के खिलाफ हल्ला बोल” दरअसल सिर्फ मैन्युअल स्केवेंजर की समस्या नहीं है बल्कि यह पुरे सभी समाज की समस्या है.
पूरे देश की समस्या है.
हमारे प्रगतिशील देश के लिए शर्म की बात है. इसलिए इसे देश के प्रधान मंत्री से लेकर आम इंसान तक सभी को इसके खिलाफ हल्ला बोलना चाहिए.
मैला प्रथा और सीवर/सेप्टिक टैंकों में हो रही मौतों से देश को मुक्त कर पाते हैं तभी हम देश पर गर्व कर पायेंगे
हम सबको यह समझना बहुत जरूरी है.
सादर
राज वाल्मीकि