गुजरात चुनाव में बीजेपी भले ही जीत का लाख दावा कर ले लेकिन सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हुए छात्र परिषद के चुनाव नतीजे ने बीजेपी दावे की हवा निकाल दी है दरअसल इस चुनाव में एबीवीपी को करारी हार का समना करना पड़ा है और जीत की मलाई खाने वाले ज्यादातर इंडिपेंडेंट छात्र हैं जिनमें दलित छात्रों की संख्या ज्यादा है
नेशनल हेराल्ड की रिपोर्ट की माने तो इस चुनाव में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने इंडिपेंडेंट कैंडिडेट का ही समर्थन किया था. इसके अलावे बापसा और एलडीएसएफ ने भी एबीवीपी के खिलाफ इंडिपेंडेंट उम्मीदवारों का ही सपोर्ट किया था.
वैसे जेएनयू, डीयू और देश की अन्य यूनिवर्सिटी की तरह गुजरात के सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्र संघ का नहीं बल्कि छात्र परिषद का चुनाव होता है. इसमें हर डिपार्टमेंट से दो प्रतिनिधि भेजे जाते हैं. इनमें से एक का चुनाव होता है, जबकि दूसरे को नोमिनेट किया जाता है. इस चुनाव में हुए एबीवीपी की हार का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ना लाजमी है. ऐसे में पीएम मोदी की अगुवाई में घुम रहे बीजेपी नेताओं की फौज को इतना तो एहसास जरुर हो गया होगा कि इस बार उनकी हवा बनने से पहले ही बिगड़ती दिखाई दे रही है.

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