नई दिल्ली। भारतीय उद्योगपतियों में अंबानी के बाद आज जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है, वह गुजरात के गौतम अडानी हैं. भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले से ही अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी चर्चा में रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अडानी की नरेंद्र मोदी से क़रीबी ने ख़ूब सुर्ख़ियाँ बटोरी थी. मोदी अक्सर अडानी के चार्टर्ड प्लेन में उड़ते दिखते थे. अडानी को मोदी का मित्र माना जाता है. भारत के अलावा अडानी ने इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी अपने बिजनेस का विस्तार किया है. इन्हीं परियोजनाओं में से एक ऑस्ट्रेलिया के कोयला खदान परियोजना को लेकर इन दिनों आस्ट्रेलिया में अडानी का खूब विरोध हो रहा है.
पिछले साल जून में ऑस्ट्रेलिया में अडानी की कोयला खदान परियोजना को हरी झंडी मिली थी. विरोध करने वालों के मुताबिक़ ये प्रस्तावित परियोजना पर्यावरण के लिए ख़तरनाक है और इससे वातावरण में प्रदूषण फैलेगा. हालांकि इसका समर्थन करने वाला एक वर्ग भी है, जिसका कहना है कि इससे लोगों को नौकरियां मिलेंगी.
कारमाइकल कोयला खान उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड राज्य में है जहाँ अडानी की कंपनी खनन करने वाली है. इस प्रोजेक्ट को लेकर आस्ट्रेलिया सरकार अडानी के साथ है और अडानी ने जरूरी सभी 112 क्लियरेंस ले लिया है. बावजूद इसके एक बड़ा वर्ग कोयला निकालने को ही गैर जरूरी बताकर इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2016 रिपोर्ट के मुताबिक़ वायु प्रदूषण से हर साल 30 लाख लोगों की मौत होती है.
विरोध का एक कारण अडानी की आस्ट्रेलिया में नाकारात्मक छवि भी है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि “अडानी को रोकना ज़रूरी है क्योंकि ये कंपनी पर्यावरण का आदर नहीं करती. ऑस्ट्रेलिया में पर्यावरण को लेकर मज़बूत क़ानून हैं लेकिन इस कंपनी का हमारी सरकार पर इतना प्रभाव है कि हमें कंपनी के ख़िलाफ़ खड़ा होना पड़ा है.”
अडानी ग्रुप की आधिकारिक बेवसाइट के मुताबिक उनका कारोबार 11 अरब डॉलर से अधिक का राजस्व उगाही करता है. ग्रुप की स्थापना 1988 में हुई थी. माना जाता है कि अडानी ग्रुप भारत में कोयला व्यापार करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है. कोयला के आलावा अडानी ग्रुप खेती, रियल स्टेट, वित्तीय सेवाओं और लॉजिस्टिक में भी डील करती है.