विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े उत्तर प्रदेश में हर दिन सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। इस बीच विधानसभा चुनावों की तैयारियों में लगीं बसपा प्रमुख मायावती के बड़े नेता चिंतामणि ने अपने पद और पार्टी से सोमवार को इस्तीफा दे दिया है। चिंतामणि बसपा भाईचारा के प्रदेश संयोजक थे। उन्होंने बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती को अपने इस्तीफे को लेकर लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा कि पार्टी के लक्ष्यों व अपने पदीय दायित्वों को सामज के सामने स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में अपने को असमर्थ पा रहे हैं।
चिंतामणि ने बसपा सुप्रीमो मायावती को सोमवार को पत्र लिखकर कहा है कि आपने मेरी सेवानिवृत्ति के बाद मुझे बसपा में बहुजन समाज की सेवा करने, डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के कारवां को बढ़ाने का दायित्व दिया था। मैंने पिछले आठ सालों से पूरी निष्ठा व लगन से पूरे प्रदेश में इसे निभाने का काम किया। मौजूदा समय ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए समेकित प्रयास नहीं हो पा रहा है। इससे बहुजन समाज अलग-थलग पड़ गया है। अत्याचार व शोषण और अन्याय से अपने को बचाने में बहुजन समाज असहाय महसूस कर रहा है।
उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि जिस बहुजन समाज को जगाकर एवं उन्हें एकजुट करके पार्टी ने राजनीति सत्ता प्राप्त की थी वह अब सही दिशा के अभाव में बिखरती सी प्रतीत हो रही है। ऐसी असमंजन व दिशाहीन की स्थिति में समाज की सेवा व मदद पार्टी के माध्यम से किस प्रकार संभव होगा। इसका साफ रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा है।
गौरतलब है कि चिंतामणि धोबी समाज से ताल्लुक रखते हैं। वह आईएएस अधिकारी रहे हैं। रिटायर होने के बाद उन्होंने बसपा का दामन थामा था और जम कर काम किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश भर में धोबी समाज को बहुजन समाज पार्टी से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरुआती तौर पर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई, लेकिन बाद में काफी लंबे वक्त तक उन्हें अलग-थलग छोड़ दिया गया। हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें फिर से जिम्मेदारी दी थी, लेकिन एकाएक उनके इस्तीफे से कई सवाल उठने लगे हैं।

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