गांव बालू में दलित RTI कार्यकर्ता संजीव को हरियाणा पुलिस इनकाउंटर करना चाहती हैं या झूठे मुकद्दमों में जेल में डालना चाहती है. कल हुई बालू की घटना से ये साफ जाहिर होता दिख रहा है. इससे पहले भी बालू गांव के ही दलित RTI कार्यकर्ता शिव कुमार बाबड़ को हरियाणा पुलिस राम रहीम के कारण हुए दंगो में आरोपी बना कर देश द्रोह में जेल में डाल चुकी हैं, जबकि शिव कुमार बाबड़ राम रहीम के खिलाफ ही रहा है.नपुलिस की क्या दुश्मनी है जो बालू गांव के दलितों का दमन कर रही है.
संजीव और उसके साथी सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो लंबे समय से दलितों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं के लिए आवाज बुलंद करते रहे हैं. इन्होंने समय-समय पर सरकार और प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई है. अबकी बार जब पंचायत चुनाव हुए तो हरियाणा सरकार ने सरपंच पद के लिए 10 वीं पास होने की योग्यता अनिवार्य कर दी. गांव में जो सरपंच निर्वाचित हुआ, उसने जो 10वीं पास का सर्टिफिकेट चुनाव आयोग को सबमिट करवाया वो सर्टिफिकेट जिस शिक्षा बोर्ड से बनवाया गया था, वो शिक्षा बोर्ड चुनाव आयोग द्वारा वैध शिक्षा बोर्ड की लिस्ट में नही था; जो कानूनी जुर्म है. संजीव और उसके साथियों ने इस जुर्म के खिलाफ आवाज उठाई. सरपंच जिसने चुनाव आयोग को ग़ुमराह किया और झूठे कागजों के दम पर गांव का मुखिया बन बैठा. इस फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाकर संजीव और उसके साथियों ने भारत सरकार की मदद की, संविधान कि मदद की. इस मदद के लिए होना तो ये चाहिए था कि हरियाणा सरकार संजीव और उसके साथियों को सम्मानित करती और पुरस्कार देती व सरपंच को बर्खास्त करके जेल में डाल देती. लेकिन हरियाणा सरकार ने इसके विपरीत कार्य किया. हरियाणा सरकार सरपंच के पक्ष में खड़ी है और संजीव की जान लेने पर तुली है.
गांव में जाट जाति बहुमत में है और सरपंच इसी जाति से आता है. सरपंच ने सैंकड़ों लोगों के नेतृत्व में 1 मई 2018 को संजीव व उसके साथियों पर उनके घर में घुस कर जानलेवा हमला किया. पूरी दलित बस्ती में तोड़फोड़ की, महिलाओं, बुजर्गों से मारपीट की गई और जातिसूचक गालियां दी गयी. इस हमले में संजीव की जान तो बच गयी लेकिन संजीव का हाथ तोड़ दिया गया. जब इस मामले की पुलिस में शिकायत की गई तो पुलिस जिसका चरित्र दलित, मजदूर, महियाल विरोधी रहा है अपने चरित्र के अनुसार पुलिस सरपंच को गिरफ्तार करने की बजाए उसके पक्ष में खड़ी मिली. सरपंच और सरकार की इस मिली भगत के खिलाफ लड़ाई जारी रही. इसी दौरान गुरमीत राम रहीम को जेल के बाद पूरे हरियाणा में डेरा समर्थकों द्वारा विरोध की घटनाएं हुई. जिसमें हिंसा की भी घटनाएं हुई. हरियाणा पुलिस ने इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में शिव कुमार बाबड़ जो संजीव का ही साथी और दलित RTI एक्टिविस्ट है को देशद्रोह का आरोप लगाते हुए जेल में डाल दिया. शिव कुमार बाबड़ का इन विरोध प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं था और वो गुरमीत राम रहीम के खिलाफ आवाज उठाने वालों में रहा था. लेकिन पुलिस जो “रस्सी को सांप बना दे और साबित कर दे” के लिए मशहूर रही है उसने इस मामले में भी यही किया.
शिव कुमार जिसने भारत के संविधान को तोड़ने वाले सरपंच के खिलाफ आवाज उठाई, आज जेल में है. इस दौरान कितनी ही बार पुलिस द्वारा इन साथियों को भैस चोरी के मुक़दमे लगाने के नाम पर परेशान किया गया. इतना दमन होने के बावजूद भी बालू गांव के साथी लड़ाई को जारी रखे हुए हैं.
जो घटना बालू गांव में घटित हुई ये भी इसी सत्ता के दमन का हिस्सा है. संजीव की दलित बस्ती में एक गाड़ी आकर रुकती है, जो सीधा संजीव के घर पर जाकर संजीव से मारपीट करती है उसके बाद उसको घसीटते हुए गाड़ी में डाल देती है. ये नजारा देख कर बस्ती के आदमी और महिलाएं भाग कर गाड़ी के पास आते हैं. संजीव का अपरहण करने वालों से वो पूछते हैं कि आप कौन हो. इस प्रकार से संजीव को उठा कर कहां ले जा रहे हो, लेकिन अपरहण करने वाले जो जींद CIA-2 से 3 ASI ओर 1 कांस्टेबल थे और वर्दी भी नहीं पहने हुए थे, न उनके साथ गांव का चौकीदार था, न गांव की पंचायत का सदस्य था और न ही उनके पास संजीव के खिलाफ कोई गिरफ्तारी वारंट था. बस्ती के लोगों द्वारा उनसे सवाल पूछने पर वो भड़क गए और लोगों को गालियां देने लग गए. जब इस व्यवहार का गांव के लोगों ने विरोध किया तो इन्होंने मारपीट शुरू कर दी व हवाई फायर भी किया. गांव के लोगों को अब भी मालूम नहीं था कि ये पुलिस कर्मचारी हैं. इनकी इस गुंडागर्दी के खिलाफ गांव वालों ने भी जवाब में इनके साथ मारपीट की.
हमको पूरी आंशका है कि ये अवैध तरीके से संजीव को उठाकर मारने की साजिश थी, जो गांव वालों की जागरूकता के कारण फेल हो गयी. हरियाणा पुलिस अब निर्दोष गांव वालों पर झूठे मुकद्दमे दर्ज कर रही है. वैसे हरियाणा पुलिस का चरित्र रहा है रुपये लेकर या राजनीति के दबाव में काम करने का, रेहान international स्कूल, गुड़गांव का मामला तो सबके सामने है. किस प्रकार पुलिस ने एक परिचालक को मर्डर के झूठे केस में फंसाया था. सबूतों को मिटाया. ये ही पुलिस का चरित्र है.
हरियाणा जो दलित उत्पीड़न के लिए मशहूर रहा है. यहाँ हर दिन दलित उत्पीड़न और महिला उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इन घटनाओं के खिलाफ जब हरियाणा के दलित और प्रगतिशील आवाम आवाज उठाता है तो हरियाणा सरकार उत्पीड़न करने वालों पर कार्यवाही करने की बजाए, उत्पीड़न करने वालों के पक्ष में और उत्पीड़ित हुए लोगों के खिलाफ खड़ी मिलती है. इससे पहले भी दलित एक्टिविस्ट और वकील रजत कल्सन पर भी पुलिस झूठे मुकद्दमे दर्ज कर चुकी है. भाटला दलित उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वाले अजय भाटला को भी अपरहण के झूठे मुकद्दमे में फंसा चुकी है. देश व हरियाणा की सत्ता और पुलिस के इस दलित, महिला विरोधी रैवये के खिलाफ व रजत कल्सन व सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर सयुंक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेम्बली चिन्ता जाहिर कर चुकी है. हम भी प्रगतिशील आवाम होने के नाते हरियाणा व देश के आवाम से अपील करते है कि सत्ता और पुलिस के इस दलित विरोधी रुख का विरोध करो. बालू गांव के लोगों के पक्ष में आवाज बुलंद करो.
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