शिक्षा विभाग ही शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. एक सप्ताह में 1500 में से महज आठ शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की ही सत्यापित प्रतिलिपि विभाग ने एसआईटी को सौंपी है. ये प्रमाण-पत्र भी आधे अधूरे हैं. अब एसआईटी जांच में तेजी के लिए सख्ती करने की सोच रही है.
एसआईटी करीब एक माह से बेसिक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच में लगी है पर यह जांच भी पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई है. एसआईटी हर जिले में जांच अधिकारी नामित कर चुकी है. जांच में देरी की वजह शिक्षा विभाग के अफसरों का ही सहयोग ना करना बताया जा है. एसआईटी ने विभाग से अब तक भर्ती हुए बेसिक शिक्षकों की सूची मांगी थी.
एसआईटी इस सूची के आधार पर ही शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच का खाका खींच रही थी. विभाग ने 2014 और 2016 में भर्ती 1500 शिक्षकों की सूची एसआईटी को दी. इस पर एसआईटी ने जिलेवार शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की सत्यापित प्रतिलिपि मांगी. लेकिन एक सप्ताह बाद भी विभाग महज आठ शिक्षकों के आधे-अधूरे प्रमाणपत्रों की प्रतिलिपि सत्यापित कर दे पाया है. इस से इनकी भी जांच नहीं हो पा रही है.
शिक्षकों प्रमाणपत्रों की जांच के लिए शिक्षा विभाग शिक्षकों के दस्तावेजों को उन्हीं से सत्यापित करा कर एसआईटी को सौपेंगे. गढ़वाल मंडल के अपर माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं. बिष्ट ने बताया कि जिन शिक्षकों के प्रमाणपत्रों पर जरा भी संदेह हो, उन्हें सबसे पहले एसआईटी को दिया जाए.
एसआईटी प्रभारी श्वेता चौबे का कहना है कि शिक्षा विभाग ने 1500 शिक्षकों में से मात्र आठ के आधे-अधूरे प्रमाणपत्रों की ही सत्यापित प्रतिलिपि दी है. देहरादून के इन आठ शिक्षकों की जांच भी पूरे प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही की जा सकेगी. जांच में तेजी लाने के लिए अब कुछ और तरीके अपनाए जाएंगे.
अपर निदेशक बेसिक शिक्षा वीएस रावत का कहना है कि बेसिक शिक्षकों के रिकार्ड ब्लॉक स्तर पर होते हैं. प्रत्येक डीईओ को हर ब्लॉक से रिकार्ड मंगवाकर जिला स्तर पर जमा करने के निर्देश दे दिए गए हैं. यह रिकार्ड एसआईटी को वहीं से उपलब्ध कराया जाएगा. प्रक्रिया लंबी होने के कारण इसमें देरी हो रही है. जो रिकार्ड नाम से मांगे हैं वे प्राथमिकता में उपलब्ध कराए जा रहे हैं. विभाग जांच में पूरा सहयोग कर रहा है.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।