नागपुर। नागपुर की दीक्षाभूमि पर पहुंचना सभी के लिए सौभाग्य की बात होती है. ये वो जगह है जहां पर लाखों लोग आकर बाबासाहेब अम्बेडकर की धम्म क्रांति को नमन करते हैं. और उनकी प्रेरणा से लाखों लोगों की जिंदगी में एक नई उर्जा का संचार होता है. लेकिन नागपुर के कलेक्टर साहब को दीक्षाभूमि से कोई लेना देना नहीं है. उनकी मनुवादी सोच ने साफ कर दिया है कि जो संघ को पसंद हो वही करेंगे.
दरअसल, नागपुर कलेक्टर की अधिकृत बेबसाइट nagpur.nic.in पर जिन पर्यटन स्थलों का ब्योरा दिया गया है. उसमें दीक्षाभूमि और ड्रेगन पैलेस जैसे ऐतिहासिक जगहों का नाम नदारत है. बेबसाइट के जरिए कलेक्टर साहब ने नागपुर आये लोगों से गुजारिश की है कि अगर घूमना हो तो संघ मुख्यालय घूम कर आईए. यहां के सुन्दर बगीचे और तालाब को देखिए. लेकिन दीक्षाभूमि और ड्रेगन पैलेस के नाम पर जिले की सरकारी बेबसाईट ने कोई जिक्र नहीं किया है.
यानि बौद्ध धर्म को मानने वाले और बाबासाहेब को चाहने वालों के लिए नागपुर प्रशासन के दिल में कोई जगह नहीं है. लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाले नागपुर हुक्मरान को इतनी भी खबर नहीं कि महाराष्ट्र सरकार ने दीक्षाभूमि को क्लास “ए” पर्यटन स्थल का दर्जा दे रखा है. नागपुर शहर के सभी धार्मिक व पर्यटन क्षेत्रों में यह पहला स्थल है. जहां इसे ‘ए’ क्लास का दर्जा हासिल हुआ है. खैर कलेक्टर साहब को कौन समझाए. कि इनके चाहने या न चाहने से देश की संस्कृति नहीं बदलती है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।