देश में जब जाति, आरक्षण और एससी-एसटी कानून को लेकर बहस चल रही है, तामिलनाडु के दलित समाज का एक वर्ग अपनी जाति छोड़ना चाहता है. वह न सिर्फ अपनी जाति छोड़ना चाहता है, बल्कि इसके लिए उसने आंदोलन का भी फैसला कर लिया है. उनका तर्क है कि आरक्षण एक धब्बे की तरह हो गया है, जिसकी वजह से उन्हें समाज से निष्कासन का दंश झेलना पड़ता है. इसलिए वह खुद को शिड्यूल कॉस्ट की सूची से बाहर करना चाहते हैं.
अनुसूचित जाति से बाहर जाने की कवायद में जुटे ये लोग देवेंद्र कुला वेल्लार जाति से संबंधित हैं. इस समूह में करीब 1 लाख से ज्यादा सदस्य हैं, जो जाति को लेकर समान सोच रखते हैं और खुद की जाति को आरक्षित श्रेणी से बाहर निकालना चाहते हैं. इन लोगों ने 6 मई को अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. इस जाति के सदस्य इस दिन पुठिया तमिलगाम पार्टी के बैनर तले प्रदर्शन करेंगे. पार्टी के नेता के. कृष्णास्वामी का कहना है कि समाज में देवेंद्र कुला वेल्लार समूह के लोगों के साथ अछूत की तरह व्यवहार किया जाता है, क्योंकि वो अनुसूचित जाति की सूची में आते हैं, इसलिए वो अपनी इस पहचान को छोड़ना चाहते हैं.
हालांकि इस संगठन की जाति छोड़ने की मांग थोड़ी चौंकाने वाली है. सवाल यह भी है कि क्या सरकार उनकी बातों को मानेगी?
