
लखनऊ। लखनऊ स्थित भीमराव अम्बेडकर युनिवर्सिटी के दो टॉपर दलित छात्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गोल्ड मेडल नहीं लेंगे. इन छात्रों का कहना है कि देश भर में लगातार हो रहे दलित उत्पीड़न के कारण उन्होंने यह फैसला लिया है. विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह 15 दिसंबर को होना है, जिसमें मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. जिन दो छात्रों ने इंकार किया है उनके नाम रामेन्द्र नरेश और सुधाकर पुष्कर हैं.
रामेन्द्र नरेश ने 2013 से 2016 में मास्टर इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एमसीएम) में टॉप किया है. इसके बाद नरेश ने 2017 में बीएड में एडमिशन लिया था. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर रामेन्द्र नरेश समेत 8 छात्रों को निष्कासित कर दिया था. वहीं, 2016 के एमफिल मैनेजमेंट के पास आउट छात्र सुधाकर पुष्कर ने भी मेडल लेने से इंकार किया है.

इन दोनों का कहना है- “देश के साथ-साथ विश्वविद्यालय में लगातार हो रहे दलित उत्पीड़न की वजह से मेरा मन दुखी हो गया है. इस उत्पीड़न के न रुकने के कारण दलित समाज के साथ बीबीएयू में दलित छात्र व प्रोफ़ेसर दोनों परेशान हैं. मैं ऐसे मेडल को लेकर क्या करूंगा जब मेरे दलित भाईयों को हीनभावना से देखा जाता है और उनको विभिन्न ढंग से प्रताड़ित किया जाता है. हम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर सी सोबती के द्वारा मेडल तभी स्वीकार करेंगे जब विश्वविद्यालय के साथ-साथ संपूर्ण भारत में दलितों को सम्मान और बराबरी की दृष्टि से देखा जाएगा.”
असल में बीबीएयू के दलित छात्र दलित अत्याचार और बीबीएयू में हो रहे दलित विद्यार्थियों के साथ भेदभाव को लेकर लगातार मुखर रहते हैं. दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर ही 2014 में दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध किया जा चुका है. तब राम करन निर्मल और उनके साथियों ने मोदी गो बैक के नारे लगाए थे. उस समय रोहित वेमुला के सुसाइड का मामला गरमाया था. उसी को लेकर छात्रों ने विरोध जताया था. इस बार दोनों छात्रों के इंकार के बाद बीबीएयू प्रशासन भी सतर्क है. दीक्षांत सामरोह में उन्हीं छात्रों को शामिल किया जाएगा जिन्हें पास मिला होगा.
