अहमदाबाद। देश में कोई भी जगह हो, जमीन हो, संस्कृति हो या फिर कोई भी वस्तु हो मनुवादी अपना हक जमाने की कोशिश करते हैं. और इस हक जमाने की कोशिश में वे निम्न तबके और कमजोरों को दबाने की कोशिश भी करते हैं. अगर कोई नहीं दबता और उनका विरोध करता है तो मनुवादी उनसे मार-पीट पर उतारू हो जाते हैं.
ऐसी ही एक घटना एक बार फिर गुजरात के आणंद से आई है. जहां मनुवादियों ने गरबे पर अपना अधिकार समझ लिया. और एक दलित य़ुवक को सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया कि वह गरबा देख रहा था.
एक अक्टूबर की सुबह करीब चार बजे गरबा देखने को लेकर ऊंची जाति के पटेल समुदाय के लोगों ने एक 21 वर्षीय दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक, जयेश सोलंकी, उसका चचेरा भाई प्रकाश सोलंकी और दो अन्य दलित व्यक्ति भदरनिया गांव में एक मंदिर के पास बने मकान के नजदीक बैठे हुए थे. तभी एक व्यक्ति ने उनकी जाति को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की. उसका कहना था कि दलितों को गरबा देखने का कोई अधिकार नहीं है. इस बीच उसने कुछ और लोगों को भी वहां बुला लिया. ऊंची जाति के लोगों ने दलितों को पीटना शुरू कर दिया और इस बीच किसी ने जयेश का सिर दीवार में दे मारा. जयेश को करमसद के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत लाया गया घोषित कर दिया.
पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ हत्या से संबंधित आइपीसी की विभिन्न धाराओं और अत्याचार रोकथाम अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज कर ली है. एससी-एसटी प्रकोष्ठ के पुलिस उपाधीक्षक एएम पटेल ने बताया कि यह पूर्व नियोजित हमला नहीं लग रहा. गरमा-गरमी के बीच जयेश की हत्या कर दी गई. उसके और अभियुक्तों के बीच कोई दुश्मनी नहीं थी. पुलिस सभी पहलुओं से मामले की पड़ताल कर रही है. अभियुक्तों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
गौरतलब है कि गांधीनगर के निकट एक गांव में 25 और 29 सितंबर को हुईं दो अलग-अलग घटनाओं में मूंछे रखने पर ऊंची जाति के राजपूत समुदाय के लोगों ने दो दलितों की पिटाई कर दी थी. 29 सितंबर को हुई घटना के आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में ऊना कस्बे में चार दलितों की बर्बरतापूर्वक पिटाई के बाद राज्यभर में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे.

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