Monday, June 30, 2025
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कोरोना ने भारत की स्वास्थ्य एवं सफाई व्यवस्था की पोल खोली

 2021 के शुरुआत में जनवरी महीने में कोरोना के दौर में एक बार फिर से भारत की सफाई व्यवस्था की पोल खुल चुकी है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत में साफ-सफाई एवं सैनिटेशन की सुविधाओं के बारे में गलत आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। सैनिटेशन के विशेषज्ञ आसिफ वानी का कहना है कि भारत को पब्लिक हेल्थ और विशेष रूप से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा एवं सैनिटेशन पर बहुत ध्यान देना पड़ेगा।

उनका कहना है कि फरवरी 2020 में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में 1404 लोगों पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 10926 लोगों पर एक डॉक्टर मौजूद है। इस आंकड़े के हिसाब से देखा जाए तो भारत स्वास्थ्य के मामले में दुनिया में बहुत पीछे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1000 नागरिकों पर एक डॉक्टर की उपलब्धि होनी चाहिए। इस लिहाज से देखा जाए तो ब्राजील कितनी भारत से बहुत अच्छी है, इसके बावजूद वहां पुराना की महामारी ने कहर बरपा रखा है।

 भारत की सैनिटेशन और पब्लिक हेल्थ की स्थिति बहुत ही खराब है। भारत में लगभग 60 लाख लोग लोग हर साल, संक्रामक बीमारियों से मर जाते हैं, इसके अलावा 1000 नए जन्मे बच्चों में से 33 बच्चे 1 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। यह स्थिति है जो कोरोना बीमारी के आने के पहले बनी हुई थी। आज कोरोना की महामारी के दौर में हम कल्पना कर सकते हैं कि जब सारा स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर कोरोना के पीछे लगा हुआ है, सब सामान्य संक्रामक बीमारियों एवं गैर संक्रामक बीमारियों से पीड़ित लोगों को किस तरह का इलाज एवं सुविधाएं मिल पा रही होंगी। इस नजरिए से देखा जाए तो कोराना ने भारत की स्वास्थ्य एवं सेनिटेशन व्यवस्था को दुनिया के सामने नंगा कर दिया है।

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