हम भारतीय अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं। जब भी हमारी स्वतंत्रता को छीनने का प्रयास किया गया है, हमारे सतर्क नागरिकों ने निरंकुश लोगों से सत्ताा वापस लेने में संकोच नहीं किया। ये बातें किसी राजनेता ने नहीं, बल्कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण ने कही हैं और वह भी नई दिल्ली में सीबीआई की स्थापना दिवस के समारोह के मौके पर।
गौर तलब है कि सीबीआई को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां आए दिन आरोप लगाती रहती हैं कि केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार सीबीआई का उपयोग राजनीतिक मंसूबों को अमलीजामा पहनाने के लिए करती है। ऐसे अनेक आरोप कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दल, फिर चाहे वह लालू प्रसाद की पार्टी राजद हो या ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस या फिर उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना द्वारा लगाए जाते रहे हैं। लेकिन यह पहली बार है जब सीबीआई के राजनीतिक इस्तेमाल किए जाने संबंधी बात परोक्ष रूप से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण के द्वारा कही गयी है।
हम आपको बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है। दरअसल, बीते 1 अप्रैल, 2022 को उन्होंने सीबीआई की स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। विषय था– “लोकतंत्र : जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारी”। चीफ जस्टिस ने कहा कि लोकतंत्र के साथ हमारे अबतक के अनुभव को देखते हुए यह संदेह से परे साबित होता है कि लोकतंत्र हमारे जैसे बहुलवादी समाज के लिए सबसे उपयुक्त है।
नहीं चलेगी तानाशाही
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि तानाशाही शासन के माध्यम से हमारे समृद्ध विविधता को कायम नहीं रखा जा सकता है। लोकतंत्र के माध्यम से ही हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविधता और बाहुल्यवाद को कायम और मजबूत रखा जा सकता है। लोकतंत्र को मजबूत करने में हमारा निहित स्वार्थ है क्योंकि हम अनिवार्य रूप से जीने के लोकतांत्रिक तरीके में विश्वास रखते हैं।
सीबीआई को दी नसीहत
उन्होंने कहा कि हम भारतीय अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं। जब भी हमारी स्वतंत्रता को छीनने का प्रयास किया गया है, हमारे सतर्क नागरिकों ने निरंकुश लोगों से सत्ताा वापस लेने में संकोच नहीं किया। इसीलिए यह आवश्यक है कि पुलिस और जांच निकायों सहित सभी संस्थान लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखें और उन्हें मजबूत करें। उन्हें किसी भी सत्तावादी प्रवृत्ति को पनपने नहीं देना चाहिए। उन्हें संविधान के तहत निर्धारित लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर काम करने की जरूरत है। कोई भी विचलन संस्थानों को नुकसान पहुंचाएगा और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करेगा।
अब सवाल यह है कि आखिर मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण को ऐसा क्यों कहना पड़ रहा है? क्या उन्हें भी यही लगता है कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का उपयोग हमारे देश की हुकूमत अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए कर रही है और इससे लोकतंत्र रोज-ब-रोज कमजोर हो रहा है?

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