कनाडा की संसद में गूंजा ‘जय भीम’

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बीते 6 मई को कनाडा की संसद में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की जयंती को डॉ. आंबेडकर इक्वालिटी डे यानी समानता दिवस के रूप में मनाया गया। इस मौके पर कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के दो सौ से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे। 6 और 7 मई को दो दिवसीय यह कार्यक्रम कनाडा के ओटावा के पार्लियामेंट हिल में हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन 6 मई को सरि सेंटर से एमपी रंदीप सराय (MP Randeep Sarai Surrey Center)ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कार्यक्रम का जिक्र किया और वहां मौजूद अंबेडकरवादियों का अभिवादन किया।

जबकि वैंकुअर किंग्सवे के मेजबान एमपी एमपी डॉन डेविस ने कनाडा की संसद में डॉ. आंबेडकर के द्वारा किये गए कामों का जिक्र करते हुए उनकी महानता बताई। उन्होंने अपने संबोधन के आखिर में जय भीम कहा।

कार्यक्रम का आयोजन कनाडा में अंबेडकवरादियों के संगठन चेतना एसोसिएशन ऑफ कनाडा और आंबेडकराइट इंटरनेशनल कोआर्डिनेशन सोसाइटी यानी AICS ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का उद्घाटन बौद्ध भिक्षु भंते सरनपाल ने किया। इस दौरान कार्लटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जंगम ने कनाडा में जाति के आंदोलन पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने डॉ. आंबेडकर को नोबेल पुरस्कार देने की मांग भी की। इस मौके पर संसद सदस्य डेविस और मनदीप सराय सहित पूर्व सांसद फ्रैंक बेलीस, एमपी चंद्र आर्य, एमपी सुख धालीवाल, एमपी परम बैंस सहित मनोज भंगू और बिल बसरा को सम्मानित किया गया।

बता दें कि चेतना एसोसिएशन और आंबेडकराइट इंटरनेशनल को-आर्डिनेशन सोसाइटी यानी AICS लंबे समय से कनाडा में बाबासाहेब आंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। ये दोनों संगठन कनाडा में अंबेडकरवादी समाज के लोगों के साथ होने वाले गैर बराबरी और जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को लेकर लगातार आवाज उठाते हैं।

साल 2023 में दोनों संगठनों ने वैंकुअर में बाबासाहेब की जयंती के मौके पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजि भी किया था, जिसकी दुनिया भर में चर्चा हुई थी। विषय था- Dr. Ambedkar International Symposium on Emancipation and Equality Day Celebrations.

इस मौके पर भारत, कनाडा और अमेरिका सहित अन्य देशों से अंबेडकरवादी एवं समानता के समर्थक बड़ी संख्या में शामिल हुए थे। इस बार कनाडा के अंबेडकरवादियों की यह मुहिम कनाडा की संसद तक पहुंच गया है। निश्चित तौर पर कनाडा की संसद में डॉ. आंबेडकर को याद किया जाना और इस दिन को इक्वालिटी डे के रूप में मान्यता मिलना अंबडकरी आंदोलन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। चेतना एसोसिएशन और AICS और इसके तमाम साथी इसके लिए बधाई के पात्र हैं। भारत से दलित दस्तक उनको जय भीम कहता है

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