
नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनाव नतीजें साफ हो चुके हैं। अब बहस इस पर हो रही है कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कौन मंत्री। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के अलावा जिस तीसरी पार्टी पर सबकी नजर थी, वो बहुजन समाज पार्टी है। ऐसे में इस बात का भी विश्लेषण करना जरूरी है कि आखिर इन चुनावों में बसपा कहां ठहरती है।
चुनाव से पहले माना जा रहा था कि बहुजन समाज पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पूरी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में कामयाब रहेगी। इसकी जायज वजह भी थी। मध्य प्रदेश में बसपा एक मजबूत ताकत मानी जाती है और प्रदेश के कुछ खास हिस्सों में उसकी अच्छी पकड़ है। जबकि छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी से गठबंधन के बाद बसपा को तीसरी ताकत के तौर पर देखा जा रहा था। क्योंकि इसके पहले कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन कर बसपा यह साबित कर चुकी थी। लेकिन नतीजों को देखें तो बसपा की उम्मीदों को सबसे बड़ा झटका छत्तीसगढ़ में ही लगा है। तो वहीं मध्यप्रदेश में 2008 के बाद लगातार फिसल रही बसपा इस बार भी नहीं संभल सकी और ज्यादा नीचे चली गई।
आईए आंकड़ों के जरिए समझते हैं कि इन तीनों राज्यों में बसपा का क्या हाल रहा। सबसे पहले बात सीटों की।
बसपा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन राजस्थान में किया, जहां उसने 6 सीटें जीती है। जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसके दो-दो विधायक जीते हैं।
फायदे नुकसान की बात करें तो बसपा को सीटों और वोट प्रतिशत के लिहाज से राजस्थान में बड़ा फायदा हुआ है। 2013 में बसपा यहां 3 सीटें जीती थी, जो बढ़कर 6 हो गई हैं। उसे 4 फीसदी वोट मिले हैं।
छ्त्तीसगढ़ में बसपा के पास एक विधायक था। इस चुनाव में उसे एक सीट का फायदा हुआ है। लेकिन बसपा का वोट प्रतिशत 2013 के 4.45 प्रतिशत से गिरकर 3.8 प्रतिशत पर आ गया है।
मध्यप्रदेश में बसपा के लिए चिंतन की स्थिति है। 2008 के बाद बसपा यहां संभल नहीं पाई है। राज्य में उसकी सीटें एक बार फिर कम हो गई हैं और वोट शेयर भी गिरा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा को यहां 6.29 प्रतिशत वोट मिला था और उसने 4 सीटें जीती थी। इस बार उसकी सीटें दो हो गई हैं और वोट प्रतिशत भी घटकर 4.9 प्रतिशत हो गया है।
जिन सीटों पर बसपा जीती है
अब हम आपको बताते हैं कि बसपा ने कौन-कौन सी सीट जीती है। मध्यप्रदेश में बसपा ने भिंड और पथरिया सीट जीती है,भिंड से बसपा उम्मीदवार संजीव सिंह ‘संजू’ ने जीत हासिल की है। उन्होंने भाजपा को हराया है।
उऩ्हें 69107 वोट मिले हैं,जबकि पथरिया विधानसभा से रामबाई गोविंद सिंह ने भी भाजपा को हराकर जीत दर्ज की है। रामबाई गोविंद सिंह को 39267 वोट मिले हैं।
राजस्थान में बसपा के 6 उम्मीदवार जीते हैं। इसमें
– नगर विधानसभा से – वाजीब अली
– करौली विधानसभा से – लाखन सिंह मीणा
– नदवई विधानसभा से – जोगेन्द्र अवाना
– किशनगढ़ वास विधानसभा से – दीपचंद खेड़िया
– तिजारा विधानसभा से – संदीप कुमार यादव
– उदयपुर वाटी विधानसभा से – राजेन्द्र गूढ़ा
जबकि छत्तीसगढ़ में बसपा ने पामगढ़ और जैजेपुर की सीट जीती है। पामगढ से इंदू बंजारे ने जीत हासिल की है, जबकि जैजैपुर सीट को बसपा ने बरकरार रखा है। यहां से पार्टी के सिटिंग एमएलए केशव चंद्र दुबारा जीत कर आए हैं।
चुनाव परिणाम के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। मायावती ने 13 दिसंबर को सभी विजयी विधायकों और चुनावी प्रदेशों के पदाधिकारियों को दिल्ली तलब किया है, जहां वह चुनाव परिणाम पर मंथन करेंगी। बहरहाल 2019 के पहले यह चुनाव परिणाम बसपा के लिए भी एक सबक है।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।