64वीं प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम में विसंगति के आरोपों से घिरे बिहार लोक सेवा आयोग पर असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी के रिजल्ट में भी गड़बड़ी करने का आरोप अभ्यर्थियों ने लगाया है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने रिजल्ट जारी करने में आरक्षण नियमों की अनदेखी की है. आयोग ने भर्ती में 50 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण दे दिया है.
असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी के कुल 250 पदों के लिए आयोग ने गत वर्ष मई-जून में इंटरव्यू लिया था. विज्ञापन के अनुसार 250 पदों में से 126 पद अनारक्षित कोटि(सामान्य वर्ग)के लिए तथा पिछड़ा वर्ग के लिए 31, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 42, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 06 ,अनुसूचित जाति के लिए 43 एवं अनसूचित जनजाति के लिए 02 पद आरक्षित था.
राज्य सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हेतु 2014 मेंं परिनियम बनाया था जिसमें उम्मीदवारों के चयन के लिए 85 अंक शैक्षिणिक योग्यता एवं 15 अंक साक्षात्कार के लिए निर्धारित किए गए थे. आयोग ने नियमों के आलोक मेंं असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी के लिए कुल 1066 उम्मीदवारों को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जिसमें मात्र 753 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया. आयोग ने साक्षात्कार में सम्मिलित कुल उम्मीदवारों में से 24 की उम्मीदवारी अलग-अलग कारणों से निरस्त कर दी.शेष बचे 729 उम्मीदवारों की मेधा सूची से 250 पदों के लिए सफल उम्मीदवारों की सूची आयोग ने 12 फरवरी की रात्रि में जारी की.
अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने परिणाम जारी करने में नियमों का पालन नहीं किया जिससे अन्य पिछड़े वर्ग के कई उम्मीदवार चयनित होने से वंचित रह गए. अभ्यर्थियों का कहना है कि आनारक्षित कोटि की खुली प्रतियोगिता वाली सीटें (50 प्रतिशत) भिन्न समुदाय के शीर्ष 126 अभ्यर्थियों की मेधा सूची से भरी जानी थी , किन्तु आयोग ने आरक्षण नियमों को दरकिनार कर आनारक्षित कोटि की सभी सीटें सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से भर दी. आनारक्षित कोटि में स्थान बनाने वाले (शीर्ष क्रम से 126तक) अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को उनके रिजर्व कटगरी में समायोजित कर दिया , जबकि राज्य सरकार द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए जारी परिनियम के अध्याय-4 में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि , ” अगर आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी आनारक्षित वर्ग के लिए चुना जाता है, तो उसकी नियुक्ति आनारक्षित कोटे में होगी.”
अभ्यर्थियों का कहना है कि BPSC द्वारा जारी मेधा क्रम में 09, 69, 73, 106, 110, 112 तथा 114 पर अंकित अभ्यर्थी का चयन अनारक्षित कोटे में होना चाहिए था , परन्तु आयोग ने इन्हें पिछड़ा- अतिपिछड़ा वर्ग के कोटे में डाल दिया है. इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के कई पात्र अभ्यर्थी चयनित होने से वंचित रह गए हैं.पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता परमानंद सिंह ने बताया कि आयोग के पदाधिकारियों से इस मसले पर पूछताछ की , पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहींं दिया. यह अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है. आयोग के इस कारनामे से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी आन्दोलन के मूड में हैं.

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