Sunday, June 29, 2025
HomeTop Newsबीजेपी और कांग्रेस ने दलित, आदिवासी, ओबीसी महापुरुषों की उपेक्षा की है:...

बीजेपी और कांग्रेस ने दलित, आदिवासी, ओबीसी महापुरुषों की उपेक्षा की है: सुश्री मायावती

कल 27 फरवरी को देश भर में धूमधाम से संत रैदास की जयंती मनाई गई। भारत के करोड़ों बहुजनों ने अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ढंग से अपने संत को श्रद्धांजलि दी। इसी दौरान एक मजेदार घटना भी पूरे देश में घटी। सवर्ण हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली और तथाकथित मुख्यधारा की राजनीति करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस बार संत रैदास को बड़े पैमाने पर याद किया।

वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में वाराणसी में संत रैदास की जयंती पर, संत रैदास की जन्मस्थली पर सभी प्रमुख पार्टियों के प्रतिनिधि पहुंचे। इन प्रतिनिधियों ने वहां पर प्रार्थना की और भाषण दिए। अपने भाषणों में उन्होंने यह सिद्ध करने की कोशिश की कि वे खुद संत रविदास के सबसे बड़े भक्त हैं। इस अवसर पर हजारों लोग संत रैदास के मंदिर में इकट्ठा हुए थे, और अन्य करोड़ों बहुजन इस स्थान पर होने वाले कार्यक्रम पर नजरें गड़ाए हुए थे। ऐसे में मौका था कि तथाकथित मुख्यधारा की सभी पार्टियां भारत के बहुजनों को संदेश दे सकें। इस मौके का फायदा उठाते हुए बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी इत्यादि सभी प्रमुख पार्टियों ने रैदास जयंती पर संत रैदास के मंदिर में अपने-अपने प्रतिनिधि भेजें।

इस बात पर आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। सुश्री मायावती ने आरोप लगाया है कि जब चुनाव का समय होता है या फिर जब भी सवर्णों की राजनीति अस्थिर होती है अभी इन लोगों को बहुजन संतों की याद आती है। अन्य समय में संत कबीर या संत रैदास या गौतम बुद्ध या बाबासाहेब अंबेडकर को कोई सम्मान नहीं दिया जाता है। उन्होंने ट्वीट करते हुए संत रविदास को श्रद्धांजलि देते हुए यह बात कही।

सुश्री मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं अपना पूरा जीवन इंसान कोई इंसान बनाने की कोशिश में बिता दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा ने हमेशा समाज के दलित आदिवासी और ओबीसी वर्गों में जन्मे संतो और महापुरुषों की उपेक्षा की है, और इन्हें सम्मान देने की वजह उनका अपमान ही किया है। उन्होंने अपने सरकार के कार्यकाल में संत रैदास के सम्मान में किए गए कार्यों की याद दिलाते हुए कहा कि मैंने संत रैदास के नाम पर भदोही जिले का नाम भी रखा था लेकिन पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार ने जातिवादी मानसिकता के कारण वह नाम फिर से बदल दिया।

आगे उन्होंने बताया कि प्रदेश में चार बार बनी बसपा सरकार के तहत संत रैदास के सपनों को साकार करने के लिए काफी प्रयास किए गए थे। संत रैदास के सम्मान में किये गए उनके काम किसी से छिपे नहीं रहे। उन्होंने यह भी बताया है कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें उनके लिए मार्ग पर चलते हुए समाज और देश का भला करती है तो यह बेहतर होगा। बहन मायावती ने यह वादा भी किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वो फिर से बदल कर का संत रविदास नगर कर दिया जाएगा।

  • टीम दलित दस्तक

लोकप्रिय

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content