बलिया। केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव ने कहा है कि केंद्र सरकार अनुसूचित जनजाति में आने वाले धर्मांतरित हिंदुओं, ईसाइयों तथा मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति के तहत मिलने वाली सुविधा को रोकने पर विचार नहीं कर रही है. मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी. उरांव ने स्वामी करपात्री जी के जयंती समारोह में भाग लेने के बाद यहाँ संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भाजपा अनुसूचित मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में एक प्रस्ताव के जरिये यह मांग की गयी है कि धर्मांतरित हिंदुओं, ईसाइयों तथा मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति के बतौर दी जाने वाली सुविधा रोक दी जाये, लेकिन केंद्र सरकार का रुख कानून के अनुसार स्पष्ट है. यह सुविधा इन धर्मांतरित समुदायों को मिलती रहेगी.
उन्होंने कहा “आज की संवैधानिक व्यवस्था के हिसाब से अनुसूचित जनजाति में किसी भी धर्म का व्यक्ति हो, वह चाहे ईसाई हो, मुस्लिम हो या हिंदू हो, उसे अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले अधिकार पाने का हक है. अनुसूचित जाति में धर्म परिवर्तन की स्थिति में ऐसा नहीं होता. यह कानूनी स्थिति है. मैं भारत सरकार का मंत्री हूं. मंत्री संविधान और कानून के हिसाब से चलता है.”
गौरतलब है कि भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पिछले रविवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में मोर्चे की झारखंड इकाई के अध्यक्ष रामकुमार पाहन ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था कि अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण का लाभ धर्मांतरित आदिवासी उठा रहे हैं. इसी प्रकार दूसरे धर्म के लोग जानबूझ कर आदिवासी लड़कियों से विवाह कर वह सारा लाभ प्राप्त कर रहे हैं, जो अनुसूचित जनजाति को मिलना चाहिए. उन्होंने प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि जिस आदिवासी ने अपने मूल धर्म को त्याग दूसरे धर्म को अपना लिया है, उसे अनुसूचित जनजाति के तहत आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. साथ ही जिस आदिवासी महिला ने किसी गैर आदिवासी से शादी कर ली है, उसे भी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.
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