बहनजी एवं बसपा की सक्रियता और मजबूती का आधार

 उत्तर प्रदेश के 2022 में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर जितनी ज्यादा सक्रिय बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा एवं उत्तर प्रदेश की चार-चार बार की मुख्यमंत्री माननीय बहनजी रही है, उतना कोई और लीडर उत्तर प्रदेश में संगठन और आगामी चुनाव में लड़ने वाले प्रत्याशियों को लेकर सक्रिय नहीं दिखाई दिया। यही कारण है कि उन्होंने अपने दल के महासचिवों एवं विभिन्न कोऑर्डिनेटरो को अपने दिशा निर्देशन में लगभग 500 से अधिक कार्यकर्ता सम्मेलन करवा दिए।

तो दूसरी ओर उन्होंने उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए अपने दल के 403 प्रत्याशियों में से लगभग 345 प्रत्याशियों के नाम अनौपचारिक रूप से फाइनल कर दिए। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने दिन रात एक कर प्रत्याशियों के आंकड़े इकट्ठा करवाए और साथ ही साथ अपने बूथ तक के कार्यकर्ताओं से मंत्रणा कर यह टिकट फाइनल किए। शायद यह सब काम इसलिए संभव हो पाया है कि वह पिछले 6 महीने से इन कार्यक्रमों में व्यस्त रही हैं। यह बात और है कि मीडिया उनकी इस व्यस्तता को और 180 दिन की मेहनत को देख नहीं पा रही है।

जहां मीडिया एवं सवर्णवादी तथाकथित बुद्धिजीवी बहन जी की सक्रियता को नहीं देख पा रहे हैं वही वे करदाताओं के पैसे पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के लिए आयोजित कार्यक्रमों को भारतीय जनता पार्टी की रैली कहकर महिमामंडित कर रहा है। और यह कथानक अर्थात नरेटिव गढ़ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के लोग बहुत सक्रिय हैं, लेकिन बहनजी सक्रिय नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश का हर एक मतदाता यह जानता है कि वर्तमान सरकार के खिलाफ बहुत ही कड़ी एवं गहरी एंटी इनकंबेंसी अर्थात सत्ता विरोधी लहर चल रही है। अपने खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी सरकारी कार्यक्रमों को अपने दल का कार्यक्रम बनाकर प्रस्तुत कर रही है। इसलिए अगर भारतीय जनता पार्टी मीडिया को सक्रिय दिखाई दे रही है तो उसे यह बताना चाहिए कि यह सक्रियता भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार की नकारात्मक छवि को दुरुस्त करने के लिए कर रही है, न कि वह कोई एजेंडा सेट कर रही है। तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर सरकार के खिलाफ बहुत अधिक सत्ता विरोधी लहर लहर है और मीडिया उसके साथ है तो वह ज्यादा सक्रिय अवश्य दिखाई पड़ेगी। लेकिन यहां पर सत्ता विरोधी लहर ज्यादा मायने रखती है ना कि उनकी सक्रियता।

दूसरी तरफ पीआर एजेंसी एवं इवेंट मैनेजर्स के बताए हुए तरीके से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रोड-शो कर रहे थे। सभी जानते हैं कि जब संगठन में शक्ति नहीं होती और संगठन के अंदर कार्यकर्ताओं को अनुशासित रूप से तैयार ना किया गया हो तो आप जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की रैली तो दूर, आप अपने राजनीतिक दल का कार्यकर्ता सम्मेलन भी नहीं कर सकते और ऐसी स्थिति में एक मजबूर दल कार्यकर्ताओं की रैली के बदले रोड शो करने पर मजबूर हो जाता है। पीआर एजेंसी के तहत इसको मीडिया में सक्रियता का कथानक गढ़ दल को बढ़ा चढ़ा कर के दिखाया जाता है। यद्यपि जमीनी स्तर पर राजनीतिक दल का संगठन जीण – क्षीण पड़ा हुआ होता है। सपा का संगठन जमीनी स्तर पर जीण-क्षीण इसलिए भी कहा जा सकता है कि वह इस स्थिति को भाप कर ही छोटे-छोटे दलों से गठबंधन की बात कर रहे हैं और आनन-फानन में भारतीय जनता पार्टी से आए हुए अनेक नेताओं को अपने दल में शामिल कर उनका टिकट भी फाइनल कर रहे हैं। पर अफसोस इस बात का है कि समाजवादी पार्टी की इस कमजोरी से पार पाने के लिए किए जा रहे जुगाड़ को लोग समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष की सक्रियता बताकर उनको उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों में मुख्य विपक्षी दल बता रहे हैं।

बहनजी की सक्रियता और पश्चिम उत्तर प्रदेश का चुनावी समीकरण

यह माननीय बहनजी के अथक परिश्रम का ही फल है कि आज बहुजन समाज पार्टी पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपने प्रत्याशियों की दो लिस्ट जारी कर सभी समाजों के सप्तरंगी धनुष की तरह अपनी चुनावी संघर्ष एवं लड़ाई को आगे बढ़ा रही है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में उन्होंने बघेल, पाल, गंगवार, पटेल, लोधी, कश्यप, यादव, सैनी, शाक्य, शर्मा, मिश्रा एवं अल्पसंख्यक, जाट आदि सभी को अपनी चुनावी लिस्ट में प्रत्याशी बनाकर उतारा है। साथ ही साथ धर्मवीर चौधरी को राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पांच मंडलों यथा – मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़ का कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर जातियों के समीकरण को और भी गहरा कर दिया है। वहीं पर सुरेश कश्यप को एमएलसी पद देखकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना आधार और बढ़ा लिया है। उपरोक्त जातियों के समीकरणों एवं अपने कार्यकर्ताओं को संगठनात्मक ढांचे में ताकत देकर बहन जी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरण को अपने पक्ष में मोड़ लिया है जिसके कारण सभी दल सकते में आ गए हैं और अपना चुनावी समीकरण टूटते हुए देख रहे हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बहनजी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी भीम राजभर को आजमगढ़ से लड़ाने का फैसला कर राजभर जाति में अपना आधार पुनः सुनिश्चित करने का फार्मूला चल दिया है। यहां यह बताना समीचीन होगा कि भीम राजभर बहुजन समाज पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष हैं और वह स्वयं इलेक्शन भी लड़ रहे हैं जिससे राजभर समाज में एक नई ऊर्जा प्रस्फुटित हो रही है और वह बहुजन समाज पार्टी की ओर देखने लगे हैं।

इसी कड़ी में यह बहन जी की दूरदर्शिता, अथक प्रयास एवं मेहनत का ही फल है कि आज दूसरे दलों के लीडरों को बहुजन समाज पार्टी इतनी मजबूत दिखाई दे रही है कि वह भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आरएलडी आदि पार्टियों को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम रहे हैं। उदाहरण के लिए मुजफ्फरनगर से पूर्व मंत्री सलमान सईदुज्जमा के बेटे ने कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी को ज्वाइन किया। हापुड़ से मदन चौहान एवं बदायूं से ममता शाक्य ने समाजवादी पार्टी छोड़ कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा। इसी प्रकार गाजियाबाद में भाजपा के के के शुक्ला ने अपने पार्षद के साथ बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सहारनपुर के पूर्व केंद्री मंत्री रशीद मसूद के भतीजे ने भी बहुजन समाज पार्टी को कांग्रेस से ज्यादा अहमियत दी। इसी के साथ-साथ नोमान मसूद ने लोकदल छोड़ कर बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली है। यह सभी दूसरे दलों से आए हुए नेता बहुजन समाज पार्टी को इसलिए ज्वाइन कर रहे हैं कि उनको कहीं ना कहीं बहुजन समाज पार्टी अधिक मजबूत दिखाई दे रही है।

पुनः एक बार अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि मुख्यधारा के कारपोरेट मीडिया एवं सवर्णवादी मानसिकता के पैरोकार यू-ट्यूब वालों को बहुजन समाज पार्टी की यह उपलब्धियां एवं बहनजी की सक्रियता इन सब में दिखाई नहीं देती। बहनजी की सक्रियता एवं उनकी छवि की सकारात्मकता को एवं निर्भीकता को देखते हुए निर्भया कांड की वकील सीमा कुशवाहा ने भी बसपा प्रमुख के सामने और उनसे आशीर्वाद लेते हुए बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की, जो अपने आप में बहुजन समाज पार्टी के लिए एक सकारात्मक उपलब्धि है।

इतना ही नहीं बहुजन समाज पार्टी की ताकत एवं बहन जी के नेतृत्व की क्षमता एवं निपुणता का एक और पैमाना जो यहां पर उदाहरण के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है, वह है कि उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे 10 बहुजन समाज पार्टी को इस चुनाव में अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है। यह पार्टियां हैं 1. इंडिया जनशक्ति पार्टी, 2. सर्वजन आवाज पार्टी, 3.पचासी परिवर्तन पार्टी, 4.विश्व शांति पार्टी, 5.आदर्श संग्राम पार्टी, 6.संयुक्त जनादेश पार्टी, 7. अखंड विकास पार्टी, 8.सर्वजन सेवा पार्टी, 9.जागरूक जनता पार्टी और (10) आधी आबादी पार्टी।

अंत में एक अन्य तथ्य जो बहन जी की सक्रियता एवं बसपा की मजबूती को प्रमाणित करता है, वह है बहुजन समाज पार्टी द्वारा जारी स्टार प्रचारकों की लिस्ट। इस लिस्ट में सभी समाजों का प्रतिनिधित्व दिखाई पड़ता है। बहुजन समाज पार्टी सभी समाजों का प्रतिनिधित्व करती है, इस बात को पुनः प्रमाणित करता है। दूसरी तरफ अल्पसंख्यकों के लीडरों की भी एक अच्छी खासी जमात बहुजन समाज पार्टी में सक्रिय है। इनमें मुनकाद अली, समसुद्दीन राइन, दानिश अली, अफजाल अंसारी, एम. एच. खान, एवं फैजान खान प्रमुख नाम है।

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