हिंदी विभाग, बी.बी.ए.यु. लखनऊ में पीएच.डी. चयन का फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया, जिसमें साक्षात्कार के स्तर पर एस.टी./एस. सी./ओ.बी.सी. छात्रों के साथ भेद-भाव करते हुए बड़े पैमाने पर धांधली की गई. ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय द्वारा पीएच.डी. में चयन के लिए लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार लिया गया था. लिखित परीक्षा में पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर सामान्य वर्ग के विद्यार्थी थे, जिनमें 2 का चयन कर लिया गया. उसके बाद चौथे से नौवें स्थान तक सभी ओ.बी.सी. अभ्यर्थी थे.जिसमें किसी का चयन नहीं किया गया, सीधे 10वें स्थान के सामान्य विद्यार्थी का चयन किया गया. पुनः 11वें स्थान से 17 स्थान तक के ओ.बी.सी./एस.सी./एस.टी. अभ्यर्थियों को छोड़कर केवल 3 सामान्य अभ्यर्थियों में 2 का चयन कर लिया गया. इससे साफ़ पता चलता है कि साक्षात्कार में पूर्वाग्र से ग्रसित होकर चयन समिति ने चुन-चुनकर सामान्य अभ्यर्थियों को ज्यादा अंक दिए हैं. सूत्रों से पता चला है कि हिंदी विभाग के अध्यक्ष सहित साक्षात्कार समिति के सभी सदस्य जो नंबर दे रहे थे वे सवर्ण थे.
महोदय जैसा कि आप जानते हैं विश्वविद्यालय में 100 नम्बर का इंट्रेन्स टेस्ट होता है . छात्र के प्राप्तांक का 80% रिटेन का अंक, Net&JRF है तो 5 अंक, UG प्रथम श्रेणी में है तो 2 नम्बर, द्वितीय श्रेणी में है तो 1 अंक मिलता है . इसी तरह PG प्रथम श्रेणी में है तो 3 नम्बर, द्वितीय श्रेणी में है तो 2 अंक मिलता है . साक्षात्कार 10 नम्बर का है . जिसमें रिसर्चर प्रपोजल का 5 नम्बर और मौखिक अभिव्यक्ति हेतु 5 अंक निर्धारित किया गया है . इस 10 नम्बर के साक्षात्कार में अनारक्षित मेरिट में आने वाले ST,SC,OBC, छात्रों को अधिकतर 1 नंबर दिया . उन सवर्ण छात्रों को जिनका एडमिशन पीएच.डी.में नहीं लेना था अधिकतम 3 अंक दिया गया है . इसका परिणाम यह हुआ कि रैंक नम्बर 4 से रैंक नम्बर 16 तक आने वाले SC,ST,OBC छात्र अंतिम मेरिट से बाहर हो गए हैं . कुलपति महोदय यह व्यवहार अन्यायपूर्ण है.हमारी मांग है कि इस रिजल्ट को तत्काल रद्द कर पुन: साक्षात्कार कराया जाय और एक पारदर्शी परिणाम घोषित किया जाए.
धर्मवीर यादव गगन
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