केजरीवाल को जमानत, आदिवासी नेता हेमंत सोरेन को क्यों नहीं?

 हेमंत सोरेन एवं उनकी पत्नीसुप्रीम कोर्ट में आज दो महत्वपूर्ण सुनवाई थी। एक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तो दूसरी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की। इसमें अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है, लेकिन हेमंत सोरेन को मिली तारीख। हेमंत सोरेन के बारे में अब सुप्रीम कोर्ट 13 मई को सुनवाई करेगा। इसके बाद यह बहस तेज हो गई है कि अगर अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल सकती है तो आदिवासी समाज के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को क्यों नहीं?

दरअसल अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन दोनों ने लोकसभा चुनाव में  प्रचार करने को लेकर जमानत मांगी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को एक जून तक जमानत दे दी है, जबकि हेमंत सोरेन को फिलहाल जमानत नहीं मिल सकी है। केजरीवाल को कथित शराब घोटेले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र नहीं दिया, न ही पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा दिया। जबकि दूसरी ओर कथित जमीन घोटाले में नाम आने के बाद हेमंत सोरेन ने नैतिकता दिखाते हुए राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया था। हेमंत सोरेन 31 जनवरी से जेल में हैं।

अब सवाल उठता है कि देश का कानून का ज्यादा पालन किसने किया, या फिर नैतिकता किसने दिखाई। घोटाले में नाम आने के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे देने वाले हेमंत सोरेन ने या फिर घोटाले में नाम आने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी को पकड़ कर बैठे अरविंद केजरीवाल ने? निश्चित तौर पर इसका जवाब हेमंत सोरेन है। ऐसे में दूसरा सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल सकती है तो फिर आदिवासी समाज के हेमंत सोरेन को क्यों नहीं?

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