Sunday, August 24, 2025
HomeTop Newsओडिशा के आदिवासी युवाओं ने रचा इतिहास

ओडिशा के आदिवासी युवाओं ने रचा इतिहास

आज चम्पा और नीरा की यह उपलब्धि न केवल ओडिशा के आदिवासी समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के हाशिये पर खड़े लाखों बच्चों के लिए एक संदेश है कि भले ही हमारी स्थिति कैसी भी हो, वह हमारी मंजिल तय नहीं करती, बल्कि तुम्हारा संघर्ष और साहस ही तुम्हारा भविष्य लिखता है।

NEET 2025 में सफलता के झंडे गाड़ने वाले आदिवासी युवा चंपा रसपेडा और नीरा मलिकओडिशा। ओडिशा के पहाड़ों और जंगलों से निकली एक नई रोशनी आज पूरे देश को राह दिखा रही है। यह कहानी है संघर्ष की, जज़्बे की और असंभव को संभव करने की। चम्पा रसपेडा, जो कि दिदायि जनजाति से आती हैं, ने इतिहास रच दिया है। कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बीच, उन्होंने NEET परीक्षा पास कर अपने समुदाय की पहली छात्रा बनने का गौरव हासिल किया। उनके लिए यह सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह उन हजारों आदिवासी बेटियों के सपनों का भी सच होना है, जिन्हें समाज ने अक्सर हाशिये पर छोड़ दिया।

इसी राह पर चलते हुए, ओडिशा के ही गजपति जिले के एक अनाथ आदिवासी युवक नीरा मलिक ने भी कमाल कर दिखाया। जीवन में अपार संघर्षों और चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और NEET 2025 पास करके MBBS सीट हासिल की। उनका सपना है कि वे डॉक्टर बनकर गरीब और वंचित लोगों की सेवा करें।

इन दोनों की कहानियां इस बात का सबूत हैं कि अगर इच्छाशक्ति प्रबल हो और मेहनत सच्ची, तो कोई बाधा बड़ी नहीं होती। समाज ने चाहे संसाधन न दिए हों, पर इन युवाओं ने अपने संघर्ष और लगन से यह साबित कर दिया कि वंचित समाज के बच्चे भी डॉक्टर बनने का सपना देख सकते हैं और उसे पूरा भी कर सकते हैं।

आज चम्पा और नीरा की यह उपलब्धि न केवल ओडिशा के आदिवासी समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के हाशिये पर खड़े लाखों बच्चों के लिए एक संदेश है कि भले ही हमारी स्थिति कैसी भी हो, वह हमारी मंजिल तय नहीं करती, बल्कि तुम्हारा संघर्ष और साहस ही तुम्हारा भविष्य लिखता है।

लोकप्रिय

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content