Wednesday, July 2, 2025
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दलित परिवार ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु, रुला देगी कहानी

पीड़ित परिवार का आरोप है कि इस जमीन पर जब इस परिवार ने एक कच्चा मकान बनाया, लेकिन जातिवादियों ने घर जला डाला और सामान लूट लिया। साल 2019 में उन्हें पूरे गांव में अर्धनग्न घुमाया गया और खंडसरा चौकी पुलिस की मौजूदगी में जबरन पूरे गांव के पैर छूकर माफी मंगवाई गई।

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले का रहने वाले एक सतनामी परिवार ने बीते 14 सालों से लगातार जातीय उत्पीड़न, प्रशासन की अनदेखी और सामाजिक बहिष्कार से परेशान होकर अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी है। मामला बेमेतरा जिले के मोहतरा (ख) गांव का है।

यहां रहने वाले श्यामदास सतनामी और उनका परिवार पिछले 14 वर्षों से सामाजिक अपमान झेलता आ रहा है। प्रशासन से न्याय की गुहार लगाने पहुंचे इस परिवार को प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिली। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्हें बार-बार शासकीय भूमि पर अतिक्रमण बताकर उजाड़ा गया, जबकि उसी जमीन पर साल 2009 में तत्कालीन सरपंच और उप सरपंच ने इस परिवार को 50 हजार रुपये लेकर बसाया था।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि इस जमीन पर जब इस परिवार ने एक कच्चा मकान बनाया, लेकिन जातिवादियों ने घर जला डाला और सामान लूट लिया। साल 2019 में उन्हें पूरे गांव में अर्धनग्न घुमाया गया और खंडसरा चौकी पुलिस की मौजूदगी में जबरन पूरे गांव के पैर छूकर माफी मंगवाई गई।

इन सभी अत्याचारों को भूलकर परिवार ने फिर से खुद को समेटने की कोशिश कि और फिर से जलाई गए मकान पर कच्चा मकान बनाकर रहने लगे। इस बीच 2024 में एक बार फिर से उनका मकान तोड़ दिया गया। परिवार पर संकट यहीं नहीं थमा। पीड़ित परिवार का कहना है कि हाल ही में 18 जून 2025 को प्रशासन ने पुलिस और ग्रामीणों की मौजूदगी में बिना किसी नोटिस के उनकी झोपड़ी को फिर से जेसीबी से गिरा दिया। फिलहाल यह परिवार बिना बिजली, पानी और छत के खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

जातीय और प्रशासनिक उत्पीड़न झेल कर थक चुके श्यामदास सतनामी ने राष्ट्रपति से सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि जब न जमीन हमारी है, न घर बचा, न समाज ने अपनाया और शासन-प्रशासन भी मौन है, तो जीने का क्या मतलब?

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