उत्तराखंड के जौनपुर में एक 9 साल की दलित नागबिल से बलात्कार। हवस का शिकार बनाने वाला आरोपी दरिंदा 24 साल का गाँव का ही विपिन पंवार है जो कि दो बच्चों का पिता भी है। आरोपी फिलहाल फरार है। यह उसी नैनबाग तहसील, जौनपुर, टिहरी गढ़वाल का मामला है जहां कुछ दिन पूर्व ही शादी में कुर्सी पर बैठने भर से एक दलित युवक की हत्या कर दी गई थी घटना 30 मई दोपहर की है।
कुछ दिन पूर्व ही कुर्सी पर बैठकर खाना खाने पर दलित जितेंद्र दास की हत्या की गई थी अब उम्मीद की जा रही थी कि ऐसी घटनाओं से ये लोग कुछ सीख लेंगे मगर संस्कार और डीएनए कभी नहीं बदल सकता है। अफसोस यह है कि 9 साल की बच्ची पर भी इनका सभ्य समाज जरूर जातिवाद फलाने और झूठा आरोप लगाने जैसे कुतर्क दे सकता है क्योंकि ये इंसाफ के लिए कभी नहीं लड़ेंगे यह भी एक कारण है कि अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है सब सवर्ण समाज एक होकर चंदा एकत्रित करके अपराधियों को छुड़ा लेंगे फिर फुर्सत से दलित परिवार को सबक सीखाएंगे।
पुरोला, उत्तरकाशी में भी एक दलित युवती इसी तरह पीड़ित है। उसके गांव का एक सवर्ण युवक कई सालों से शादी का झांसा देकर युवती का शोषण कर रहा है। युवती का कहना है कि हमने शादी की है जबकि युवक इससे इनकार कर रहा है। फिर एक दिन गांववालों ने बैठक की और लड़की के शोषण की कीमत 5 लाख रुपये लगाई गई। पैसे तो दिए नहीं ऊपर से लड़की का शोषण कई तरह से होता गया। मामला पुलिस तक भी गया मगर कोई भी पत्रकार या पुलिस इसे प्रकाश में लाने को राजी नहीं क्योंकि वे लोग रसूख वाले हैं और लड़का लड़की से प्रेम भी करता है मगर समाज मे स्वीकार भी नही कर रहा। यह हालत है समाज की।
हमारे जन प्रतिनिधि तो फिर से कह देंगे कि हमारे यहां न जातिवाद है और न रेप की घटनाएं होती है क्यूंकि उन्होंने वोट लेने हैं और सवर्ण समाज की बात ही क्या करूँ? 9 साल की बच्ची का रेप होने के बाद भी पूरा गांव पीड़ित परिवार पर फैसले का भारी दबाव। उनका कहना है कि ऐसे में गांव की बदनामी होगी इसलिए पैसे लेकर मामला रफा दफा किया जाय। उनमे से कुछ लोगों ने पीड़ित परिवार का पीछा तक किया मगर परिवार के साथ समाज दलित समाज तबतक खड़ा हो चुका था। अभी बच्ची बेहोशी की हालत में दून हॉस्पिटल देहरादून में हैं भर्ती है। हम सब पीड़ित के साथ ही हैं, एफआईआर दर्ज हो चुकी है मगर आरोपी को फरार कर दिया गया है पुलिस तलाश में जुटी हुई है।
आपको बता दूं इसी परिवार के साथ 4 साल पहले इससे भी खतरनाक दरिंदगी हो चुकी है। गांव के कुछ राजपूत लड़कों ने इसी परिवार की जवान लड़की को अगवा कर नाले में पूरी रात बलात्कार किया फिर सुबह जान से मार दिया। शव को बुरी तरह रौंदा गया। मामला बनता इससे पहले ही गांव में बैठक की गई और 5 लाख रुपये में समझौता करवाया गया। उस वक्त दलित समाज आवाज उठाने का दम नहीं कर सका हालांकि पैसा तो नहीं मिला मगर न्याय भी नहीं मिल सका। यदि उसी समय सभी को जेल हो चुकी होती तो आज अजीसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होती। अब उसकी भी जांच होनी चाहिए और इस 9 साल की बच्ची को भी इंसाफ मिलना चाहिए।
- रिपोर्टः जबर सिंह वर्मा

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