लखनऊ। यूपी के शिक्षामित्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें कहा गया है कि करीब एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को अब सहायक अध्यापक के पद पर बने रहने के लिए टीईटी परीक्षा पास करनी होगी. दो साल के अंदर उन्हें ये परीक्षा पास करनी होगी जिसमें उनके अनुभव का साथ मिलेगा.
शिक्षामित्रों की ओर से शीर्ष अदालत में पेश वकीलों की दलील थी कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं जिससे वे अधर में हैं. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को जारी रखे. साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर उन्हें राहत प्रदान की जाए. सहायक शिक्षक बने करीब 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं, जिनके पास वांछनीय योग्यता है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
उन्होंने कहा कि ये शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं. ये सभी करीब 10 वर्षों से काम कर रहे हैं. यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है. सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है. वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी. उनकी नियुक्ति पिछले दरवाजे से नहीं हुई थी, शिक्षामित्र पढ़ाना जानते हैं. उनके पास अनुभव है. वे वर्षों से पढ़ा रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव में उनके साथ मानवीय रवैया अपनाया जाना चाहिए.

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