नई दिल्ली। अंबेडकरी समाज से आने वाली बाड़मेर जिले की आईएएस अधिकारी टीना डाबी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। बाड़मेर ज़िले ने जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार जीतकर पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि टीना डाबी की अगुवाई में संभव हुई, जिन्होंने जिले में हजारों पारंपरिक ‘टांक’ यानी भूमिगत जल संरचनाओं को पुनर्जीवित कराया और जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप दिया।
इस पुरस्कार के तहत बाड़मेर को 2 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। यह सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18 नवंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में दे रही हैं। ‘कैच द रेन’ अभियान के तहत पूरे देश को 10,000 से ज़्यादा जल भंडारण संरचनाएँ बनाने का लक्ष्य दिया गया था, सबसे आगे निकलते हुए बाड़मेर ने इस लक्ष्य को न सिर्फ पूरा किया, बल्कि उत्तरी क्षेत्र में टॉप पोज़िशन लेकर सबको पीछे छोड़ दिया।
बता दें कि टीना डाबी ने साल 2015 UPSC परीक्षा में टॉप करके नई मिसाल कायम की थी। तब से कलेक्टर के रूप में वह जिस भी जिले में गईं, वहां उनके काम के अनोखे अंदाज की चर्चा रही। और अब बाड़मेर में जल संरक्षण को लेकर उनकी पहल पूरे भारत के लिए मॉडल बन गई है।
इसी तरह की एक और शानदार खबर दक्षिण भारत से आई है, जो कि अंबेडकरी समाज के लिए गर्व की बात है। बेंगलुरु स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र और क्षमता निर्माण एवं ज्ञान केंद्र की प्रिंसिपल डायरेक्टर दीपना नेत्रपाल को राष्ट्रीय CAG पुरस्कार से नवाजा गया है। खास बात यह है कि यह सम्मान पाने वाली वह देश की पहली दलित महिला अधिकारी हैं।
दीपना नेत्रपाल को यह पुरस्कार GST ऑडिट में नई पहल और बेंगलुरु में ट्रेनिंग सिस्टम के बड़े बदलाव के लिए दिया गया है। क्षमता निर्माण, पब्लिक अकाउंटिंग और प्रशिक्षण के क्षेत्र में दीपना नेत्रपाल के प्रयासों ने पूरे ऑडिट सिस्टम को नया रूप देने में अहम भूमिका निभाई है।
जिस तरह वंचित समाज से आने वाली दोनों महिलाओं ने यह शानदार उपलब्धि हासिल की है, उसने यह दिखा गया है कि चाहे प्रशासनिक नेतृत्व हो या कोई नई पहल, महिलाएं और खासकर दलित-बहुजन समाज की महिलाएं इसमें पीछे नहीं है।

