Monday, June 9, 2025
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टोरंटो से गूंजी जातिविहीन दुनिया की आवाज, जारी हुआ ऐतिहासिक घोषणा पत्र

टोरंटो में 25–27 मई 2025 को आयोजित 'ग्लोबल कॉन्फ्रेंस फॉर अ कास्ट-फ्री वर्ल्ड' में दुनिया भर के हाशिए के समुदायों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में 'टोरंटो घोषणा पत्र' जारी कर जातिविहीन दुनिया के लिए 17 सूत्रीय कार्य योजना प्रस्तुत की गई।

टोरंटो के कनाडा कन्वेंशन सेंटर में सहभागी एकत्र हैं, जो उद्घाटन से पूर्व चर्चा कर रहे हैं।टोरंटो, 27 मई 2025। जातीय भेदभाव और वंश आधारित अत्याचार के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एक बड़ी पहल करते हुए “ग्लोबल कॉन्फ्रेंस फॉर अ कास्ट-फ्री वर्ल्ड 2025” का आयोजन कनाडा के टोरंटो शहर में 25 से 27 मई तक हुआ। सम्मेलन का समापन एक ऐतिहासिक “टोरंटो घोषणा पत्र” के साथ हुआ, जिसमें जाति आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए वैश्विक रणनीति और 17 सूत्रीय एजेंडा पेश किया गया।

इस सम्मेलन में दुनिया भर से दलित, रोमा, बुराकुमिन, हारातिन, किलॉम्बोलास जैसे जाति उत्पीड़ित समुदायों के प्रतिनिधि, नीति निर्माता, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन शामिल हुए। प्रतिभागियों ने यह स्वीकार किया कि जाति व्यवस्था केवल भारत या दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अमेरिका, यूरोप, जापान, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में भी अलग-अलग रूपों में मौजूद है।

घोषणा पत्र में संयुक्त राष्ट्र और सभी देशों से जातिवाद को नस्लवाद और रंगभेद के समान मानवाधिकार उल्लंघन मानने की मांग की गई। इसके अलावा शिक्षा, कानून, राजनीति, और सामाजिक-आर्थिक सुधारों के माध्यम से जाति उन्मूलन के ठोस उपाय सुझाए गए। विशेष रूप से, कनाडा सहित सभी देशों में ‘जाति’ को एक संरक्षित श्रेणी के रूप में शामिल करने पर ज़ोर दिया गया।

सम्मेलन ने डॉ. आंबेडकर की विरासत को सम्मानपूर्वक याद करते हुए जातिविहीन समाज की दिशा में युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर मौजूद समुदायों की नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित किया।

“टोरंटो घोषणा पत्र” 21वीं सदी में जाति के अंत की एक नैतिक पुकार है, जो पूरी दुनिया से समानता, न्याय और गरिमा की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग करता है।

टोरंटो सम्मेलन के प्रमुख फैसले और मांगें:

  1. जातिवाद को वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में मान्यता दी जाए, ठीक वैसे ही जैसे नस्लवाद और रंगभेद को माना गया है।

  2. संयुक्त राष्ट्र एक विशेष अंतरराष्ट्रीय संधि बनाए जो जाति और वंश आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए बाध्यकारी हो।

  3. कनाडा जैसे देशों के मानवाधिकार कानूनों में ‘जाति’ को संरक्षित श्रेणी में जोड़ा जाए।

  4. शिक्षा प्रणाली में ‘क्रिटिकल कास्ट थ्योरी’ को लागू किया जाए, और जाति आधारित भेदभाव के विरुद्ध संवैधानिक मूल्यों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

  5. विश्वस्तरीय ‘कास्ट डिस्क्रिमिनेशन इंडेक्स’ बनाया जाए, जो जाति आधारित असमानता को मापने का औज़ार बने।

  6. जाति पीड़ित समुदायों के नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।

  7. ऐतिहासिक अन्याय की भरपाई हेतु सार्वजनिक माफ़ी, ज़मीन सुधार, और राजनीतिक भागीदारी दी जाए।

  8. युवा नेतृत्व को जाति और नस्ल विरोधी आंदोलनों में आगे लाने की नीति बनाई जाए।

  9. प्रवासी कार्यक्रमों में मानवाधिकार और एंटी-कास्ट ट्रेनिंग को अनिवार्य किया जाए।

  10. ट्रुथ एंड रिकंसीलिएशन कमीशन की स्थापना कर जातीय हिंसा और उत्पीड़न के मामलों की समीक्षा हो।

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