“जाइए और अपने देवता से कहिए कि वे ही कुछ करें… आप विष्णु जी के कट्टर भक्त हैं, तो अब प्रार्थना कीजिए।” सुप्रीम कोर्ट में खजुराहो की भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की इस टिप्पणी से बवाल मच गया है। हिन्दुओं ने धार्मिक भावना आहत होने की बात कहते हुए चीफ जस्टिस को घेरना शुरू कर दिया है।
दरअसल मध्यप्रदेश के खजुराहो के जवरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति सालों से खंडित अवस्था में है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई कि इस मूर्ति को फिर से जोड़ा जाए, ताकि आस्था पूरी तरह बहाल हो सके। CJI बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने इसे आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी ASI का मामला बताते हुए और ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ कहते हुए इस अपील को खारिज कर दिया।
कोर्ट का तर्क था कि यूनेस्को विश्व धरोहर परिसर का हिस्सा होने के कारण संरक्षित स्मारकों में “मूल संरचना जोड़कर पुनर्निर्माण” जैसी मांगें पुरातत्व क़ानून के तहत एएसआई के दायरे में आती हैं; न्यायालय सीधे ऐसे पुनर्स्थापन के आदेश नहीं देता। लेकिन इस दौरान चीफ जस्टिस बी.आर. गवई द्वारा मजाकिया लहजे में की गई टिप्पणी से बवाल मच गया है और उनके खिलाफ कुछ वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है। चीफ जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता से कहा- ‘जाओ और भगवान से ही कुछ करने को कहो। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं। तो जाओ और अब प्रार्थना करो।’
CJI की इस टिप्पणी पर कई अधिवक्ताओं ने आपत्ति जताते हुए इसे भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया है और सीजेआई की टिप्पणी के विरोध में खुला पत्र लिखा है। उनका कहना है कि न्यायपालिका को आस्था-संबंधी मामलों में भाषा को लेकर संवेदनशील होना चाहिए। विरोध करने वाले वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से उनका बयान वापस लेने की मांग की है। देखना होगा कि यह मुद्दा कहां जाकर रुकता है।

राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।