(- सुशांत नेगी)
बिहार बदहाल है। पिछले कई महीनों से बिहार से जिस तरह अपराध, हत्याएं, गुंडागर्दी और प्रशासनिक बदइंतजामी की खबरें आ रही है, उसने बीते सालों में बिहार की बदली हुई छवि को फिर से शर्मसार करना शुरू कर दिया है। बिहार के मुजफ्फरपुर में हाल ही में दलित बच्ची के साथ हुई अमानवीयता और उसके बाद घंटों तक चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने के कारण उसकी मौत ने तो सुशासन के नकाब को नोच कर उतार फेंका है।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढनी गांव में 10 वर्षीय दलित बच्ची से रेप और मौत के मामले ने बिहार में स्वास्थ्य-विभाग एंव सरकार की बदहाल स्थिति को उजागर किया है। अस्पताल प्रशासन के खिलाफ पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया की अस्पताल की लापरवाही की वजह से पीड़िता की जान गई है। इस घटना ने बिहार की व्यवस्था पर सवाल खडे किए हैं।
यह मामला 26 मई का है। पीड़ित परिवार ने बताया कि पटना के पीएमसीएच में उनके साथ क्या हुआ था और कैसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण बच्ची की मौत हो गई। मुजफ्फरपुर से जब पीड़ित बच्ची को रेफर किया गया, तब उसकी रिकवरी हो रही थी। मगर 5000 करोड़ की लागत से बन रहे एशिया के तथाकथित सबसे बड़े अस्पताल में समय पर भर्ती नहीं किया गया, जिससे उसकी जान चली गई। अस्पताल में अलग-अलग वार्डों में उन्हें घुमाया गया। तब तक बच्ची एंबुलेंस में ही रही। एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने लगी। जब अस्पताल वालों से परिजनों ने कहा, तो अस्पताल कर्मचारियों ने 2500 रुपये मांगे। फिर हंगामा हुआ तो बच्ची को एडमिट किया गया। भर्ती करने के बाद भी उसका इलाज शुरू नहीं किया गया। बहुत देर बाद इलाज शुरू हुआ, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। आखिर में बच्ची ने दम तोड़ दिया।
इस घटना में सामने आई खबर के मुताबिक जब आरोपी बच्ची को फुसलाकर अपने साथ ले गया। गाँव के लोगो से मिली जानकारी पर जब परिवार-जन बच्ची को ढूंढने निकले तो बच्ची गाँव में तालाब के पास आपत्तिजनक स्थिति में उन्हें मिली, जहां बच्ची के चेहरे और शरीर पर कई घाव थे। मौके पर पहुँची पुलिस ने जाँच शुरू की और आरोपी को हिरासत में ले लिया गया, पुलिस के मुताबिक आरोपी कि पहचान 30 साल के रोहित के तौर पर हुई है और उसने अपना जुर्म कबूला है। पुलिस ने कहा की आरोपी पहले भी ऐसे कई अपराधों को अंजाम दे चुका है।
इस घटना पर बिहार में नेता प्रति-पक्ष तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया आई है। तेजस्वी यादव ने कहा- “यहाँ डबल इंजन की सरकार पूरी तरह फेल हो गई है। किसी घ़टना पर मुख्यमंत्री जी ने कभी अफसोस नहीं जताया। सरकार में एक मुख्यमंत्री और दो उप-मुख्यमंत्री होने पर भी पीड़ित परिवार से मिलने का समय नहीं है।’’
मामले का संज्ञान राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया है। आयोग की अध्यक्षा विजया किशोर रहाटकर ने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को मामले की गहन और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस मामले में अस्पताल अधिकारियों और पुलिस की भूमिका की भी जांच करने को कहा है।
इस घटना से बिहार में आक्रोश कि स्थिति है और सरकार द्वारा किसी प्रकार की प्रतिक्रिया ना आने पर बिहार की जनता सरकार से नाखुश है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह बिहार सरकार की सबसे बडी नाकामयाबी है की सरकार बिहार की जनता की सुरक्षा मुहैया कराने में पुरी तरह से विफल रही है। बिहार में बढ़ती आरोपी घटनाओं के चलते सरकार आने वाले चुनावो में कैसे जनता का भरोसा जितती है यह देखना होगा।

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