28 जून को हरिद्वार से शुरू हुई थी अखिल भारतीय चमार रेजिमेंट बहाल संघर्ष समिति की पदयात्रा
नई दिल्ली। अखिल भारतीय चमार रेजिमेंट बहाल संघर्ष समिति ने चमार रेजिमेंट बहाल करने की मांग को लेकर सोमवार को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. समिति के अध्यक्ष महात्मा ज्ञान दास ने बताया कि 1 मार्च 1943 को अंग्रेजों द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यकों की तत्कालीन 1108 उपजातियों को शामिल करके चमार रेजिमेंट की स्थापना की गई थी.
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत के नागालैंड में जापानी सेना आगे बढ़ रही थी, जिसे रोकने के लिए नागालैंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में महापराक्रमी चमार रेजिमेंट को लगाया गया. चमार रेजिमेंट ने वीरता से लड़ते हुए सात हजार जापानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. जिसमें चमार रेजिमेंट के 917 बहादुर सैनिक शहीद हुए. जापानी सेना 31 मई 1944 को रात में तीन बजे जवानों की लाशों व हथियार को छोड़कर चमार रेजिमेंट के डर से भागने पर मजबूर हुई.
चमार रेजिमेंट द्वारा बर्मा व रंगून को भी फतेह किया गया. चमार रेजिमेंट को द्वितीय युद्ध में सर्वोच्च अवार्ड बैटल ऑनर ऑफ कोहिमा से सम्मानित किया गया. 1946 में अंगे्रजों ने चमार रेजिमेंट को आजाद हिंद फौज से लडऩे को बाध्य किया, लेकिन देशभक्ति के कारण चमार रेजिमेंट ने लडऩे से इनकार कर दिया. जिस पर अंग्रेजों ने चमार रेजिमेंट को भंग करके विद्रोही घोषित किया. तत्कालीन डिफेंस एडवाईजरी कमेटी ने भी जिसमें प्रतिनिधित्व भी शामिल था, ने जातीय कारणों से इस बहादुर रेजिमेंट की बहाली का प्रयास नहीं किया. देश आजाद होने के बाद भी चमार रेजिमेंट को इतिहास में स्थान नहीं दिया गया. इस मौके पर मांग की गई कि जिस प्रकार अन्य जातियों के नाम पर रेजिमेंट हैं, इसी प्रकार चमार रेजिमेंट को भी बहाल किया जाए. उन्होंने बताया कि रेजिमेंट की बहाली के लिए 28 जून को हरिद्वार के गुरु रविदास मंदिर से पैदल यात्रा शुरू की गई थी. यात्रा का समापन दिल्ली में हुआ और जंतर-मंतर पर चमार रेजिमेंट की मांग को लेकर धरना दिया गया. इस अवसर पर महासचिव रामकुमार असनावड़े, विक्रम रविदासिया, रेणू किशोर झारखंड, मित्रसेन रविदासी, मनोरंजन राठी, अमित जस्सी पंजाब, ओंकार सिंह, विकास कुमार, महात्मा विजेश दास, गंगा प्रसाद नेपाल, डॉ. जयराजू आन्ध्र प्रदेश, प्रमोद तेलंगाना, जनार्दन राम बिहार, पीसी चौधरी मध्य प्रदेश, नरेन्द्र चौहान पश्चिम बंगाल, अनिल रांची, भीम शंकर कर्नाटक समेत भारी संख्या में देशभर से लोग मौजूद थे.
पूर्ण सिंह
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