नई दिल्ली। राज्यसभा में नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लास बिल भारी हंगामे के बीच पास हुआ. 31 जुलाई की शाम को इस बिल पर राज्यसभा में वोटिंग शुरू हुई, तो विपक्ष ने संशोधन पेश करने शुरू कर दिए. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के जवाब के बाद विपक्षी दलों ने अपना संशोधन वापस ले लिया, लेकिन जब बिल के प्रावधानों पर वोटिंग शुरू हुई, तो कांग्रेस के नेता संशोधन पर अड़ गए.
बाद में इस बिल का तीसरे क्लॉज के बिना ही पास करना पड़ा, क्योंकि तब सदन में सत्ता पक्ष के ज्यादातर सदस्य नदारद थे. ये 123वां संविधान संशोधन विधेयक है, जिसके तहत पिछड़ा वर्ग आयोग को भी संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा. सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में सदस्यों की गैरहाजिरी से सरकार की किरकिरी से प्रधानमंत्री मोदी नाराज हैं.
मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक है, जिसमें इस मामले पर भाजपा के राज्यसभा सदस्यों की क्लास भी लग सकती है. बैठक में इस पर सांसदों को जवाब देना होगा कि आखिर क्यों वो सदन में मौजूद नहीं थे. संसदीय कार्य मंत्री ने इस पूरे मसले पर अनुपस्थित सांसदों से कारण बताने को कहा है.
दरअसल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक क्लॉज पर संशोधन पेश करने पर राज्यसभा में दिलचस्प स्थिति पैदा हो गयी. विपक्ष की ओर से एक संशोधन के लिए बहुमत हो गया और सरकार के लिए फजीहत की स्थिति पैदा हो गयी. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सत्ता पक्ष के बहुत सारे सांसद सदन में मौजूद ही नहीं थे.
आपको बता दें कि इस विधेयक को पारित कराने के लिए 245 सदस्यीय सदन में मौजूद सांसदों में से दो तिहाई का इसके पक्ष में होना जरूरी था. लेकिन कई मंत्रियों की गैरहाजिरी ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी.विपक्ष का संशोधन 52 के मुकाबले 74 मतों से पारित हो गया. भाजपा के जदयू को मिलाकर सदन में 89 सदस्य हैं. विधेयक पारित नहीं होने पर पिछड़े वर्ग को निराशा को ध्यान में रखते हुए आखिर में नियम तीन को हटाकर जब विधेयक पर मतदान कराया , तो इसके समर्थन में 124 वोट पड़े. किसी ने भी इसके खिलाफ वोट नहीं दिया.

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