कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच शह-मात का खेल जारी है. कोलकाता में रविवार शाम को शुरू हुआ 2019 का सबसे बड़ा सियासी ड्रामा पहले कोलकाता से लेकर दिल्ली की सड़कों पर चला और फिर संसद की चौखट तक पहुंच गया. आलम यह रहा कि इस मुद्दे पर भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी. मामला चुनाव आयोग तक भी पहुंच गया है.
लोकसभा चुनाव के लिहाज से इस बार पश्चिम बंगाल आर-पार की लड़ाई का अखाड़ा बना है, भारतीय जनता पार्टी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है तो जवाब में ममता बनर्जी भी उन्हें रोकने के लिए मुस्तैद हैं. रविवार रात को सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ कोलकाता की पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ सोमवार को सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सीबीआई ने ममता सरकार के खिलाफ काम में बाधा डालने का आरोप लगाया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उल्टा सीबीआई से कहा कि कमिश्नर के खिलाफ कोई सबूत हैं तो पेश करिए, जिसके बाद सीबीआई फिलहाल सकते में है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि जबतक कोई सबूत नहीं होंगे, तबतक कार्रवाई नहीं होगी. अब इस मसले की सुनवाई मंगलवार को होगी. दूसरी ओर कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने हाई कोर्ट से अपील की है कि उनके खिलाफ जारी सभी नोटिस पर स्टे लगाया जाए. इस पर भी मंगलवार को सुनवाई होगी.
दूसरी ओर सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने आक्रामक रूप से सीबीआई विवाद का मुद्दा उठाया. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने कोलकाता के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया. भाजपा की ओर से इसका जवाब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया. उनका तर्क था कि सीबीआई के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच करने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें काम नहीं करने दिया. जिस दौरान राजनाथ सिंह लोकसभा में जवाब दे रहे थे, तब लोकसभा में टीएमसी के सांसदों ने ‘’सीबीआई तोता है, तोता है…तोता है’ के नारे लगाए. दूसरी ओर उधर कोलकाता में ममता बनर्जी रविवार रात से ही केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और धरने पर बैठी हैं. ममता धरना स्थल से ही सरकार चला रही हैं. सोमवार दोपहर को उन्होंने धरना स्थल पर ही कैबिनेट बैठक भी की.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।