Friday, May 9, 2025
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2019 रणनीति की शुरूआत है कश्मीर में गठबंधन का टूटना

पीडीपी से गठबंधन तोड़कर भाजपा ने 2019 के लोकसभा के चुनावी मुद्दों का शंखनाद कर दिया. अब अच्छे दिन, विकास, भ्रष्टाचार के खात्में, कालेधन की वापसी और गुजरात मॉडल के नाम पर वोट नहीं मिलने वाला. अब भाजपा धारा 370 की समाप्ति, कश्मीरीअलगवाद के नाम पर देश की एकता-अखंडता को खतरा, पाकिस्तान से संभावित युद्ध का माहौल, मुस्लिम आतंकवाद, राम मंदिर के निर्माण के नारे, मुसलमानों और अन्य अल्पसख्यकों के प्रति घृणा और भारतीय संस्कृति (उच्च जातीय मर्दों हिंदू मर्दों के वर्चस्व की संस्कृति ) की रक्षा की गुहार के नाम पर ही अपनी नैया पार लगा लगाने के बारे में सोच सकती है.

उच्च जातीय हिंदू कार्पोरेट मीडिया और कार्पोरेट की विशाल पूंजी इसमें खुलकर भाजपा की मदद करेगें. जाति का दांव तो खुला हुआ ही है. नक्सलवाद और माओवाद का खतरा तो शाश्वत एजेंड़ा है हीं.

इसमें धारा 370 को बदलना या बदलने की बात करना और कश्मीरी अलगवादियों को सबक सिखाने के नाम पर आम कश्मीरियों के दमन करने में पीडीपी के साथ रहकर कठिनाई पैदा होती थी, दोहरा चरित्र सामने आता था. अब खुलकर खेल खेला जा सकता है. इसके साथ ही पीडीपी रह-रहकर पाकिस्तान से बात-चीत की भी बात करती थी.

इस गठबंधन को तोड़ने से दोनों को फायदा है. भाजपा हिंदू कट्टरपंथियों के बीच अपनी छवि चमकायेगी और पीडीपी फिर से भाजपा को दोष देकर कश्मीरियों के साथ की गई अपनी दगाबाजी को धोने की कोशिश करेगी. फिर जरुरत पड़ेगी तो दोनों हाथ मिला लेगें.

देश और देश के जन को 2019 के आम चुनावों तक भय और आशंका में जीने के लिये तैयार रहना चाहिए. भाजपा चुनाव जीतने के लिए कोई भी हथकंड़ा छोड़ेगी नहीं, चाहे देश की व्यापक जनता को उसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े.

-सिद्धार्थ रामू

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