कोच्चि। केरल सरकार ने दलित और हरिजन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. सरकार के पब्लिक रिलेशन यानि जनसंपर्क विभाग ने इसके लिए एक सर्कुलर जारी किया है. विभाग ने एसटी/एससी कमिशन की एक सिफारिश का हवाला देते हुए सभी सरकारी पब्लिकेशन और सरकार की प्रचार-प्रसार सामग्री में ‘दलित’, ‘हरिजन’ शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की अपील की है. इसकी चर्चा पिछले काफी वक्त से चल रही थी. जिसके बाद आखिरकार यह फैसला आ गया है.
जारी किए गए सर्कुलर में दलित/हरिजन शब्दों की जगह एससी/एसटी शब्द इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है, सरकार का कहना है कि दलित और हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने की सिफारिश उन सामाजिक भेदभावों को खत्म करने के लिए की गई थी जो आज भी कई जगहों पर हो रहे हैं.
Kerala Information and PR Dept internal circular directs to avoid use of words ‘Dalit’ and ‘Harijan’ in communications
— ANI (@ANI) October 17, 2017
हालांकि दलित एक्टिविस्ट और साहित्यकारों को सरकार का यह फैसला पसंद नहीं आया, दलित शब्द को लेकर उनके अपने तर्क हैं.
असल में दलित शब्द दबे-कुचले वर्ग के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन इस समाज ने पिछले दो दशक में खुद को सामाजिक औऱ राजनैतिक तौर पर काफी मजबूत बना लिया है. जिसके बाद यह शब्द एक ताकत और वंचित समाज के मजबूत संगठन के रूप में सामने आया है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।