कोरोना महामारी से जूझ रहे कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव एवं मानवता की मिसाल पेश करने वाली एक नई घटना सामने आई है। कश्मीरी पंडितों के परिवार में में मृत्यु होने के बाद, अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय मुस्लिम युवाओं ने हाथ आगे बढ़ाया है। इस संकट की घड़ी में जबकि पवित्र रमजान माह भी चल रहा है, और सभी मुस्लिम युवा रोजेदार हैं, अपनी भूख प्यास एवं कोरोना बीमारी के इंफेक्शन की चिंता किए बिना ब्राह्मण परिवारों की मदद की पहल करना एक सुकून का अहसास देती है।
खबरों के मुताबिक पुलवामा जिले के कश्मीरी पंडित परिवार के 70 वर्षीय चमन लाल की कुछ दिन पहले कोरोना से हुई मृत्यु के बाद आसपास के मुस्लिम गांव में भी खबर फैल गई। खबर मिलते ही मुस्लिम परिवारों के लोग बड़ी संख्या में शोक व्यक्त करने के लिए चमन लाल के घर इकट्ठा हुए। जब मुस्लिम भाइयों ने देखा कि चमनलाल के परिवार में बहुत ही कम सदस्य हैं तो अंतिम संस्कार में मदद करने के लिए उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया। इस प्रकार की खबरें घाटी के कई अन्य जिलों से भी आ रही हैं।
गौरतलब है कि पूरे भारत से इस तरह की खबरें कई महीनों से आ रही हैं, लेकिन मुस्लिम बहुल कश्मीर राज्य से ऐसी खबरों का आना विशेष महत्व रखता है क्योंकि हिंदुत्ववादी शक्तियों ने यह प्रचार किया है कि जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं वहां मुस्लिम समुदाय भाईचारे का प्रदर्शन नहीं करता है। कश्मीर घाटी से आ रही सांप्रदायिक सद्भाव की यह खबरें भारत की महान गंगा जमुनी संस्कृति की झलक दिखाती है।

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