नई दिल्ली। जंतर-मंतर पर जहां कल तक हवा में तनी हुई मुट्ठियां दिखाई देती थी. और अपने हक की आवाज में लोग हल्लाबोल करते नजर आते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के कहने पर दिल्ली सरकार ने किसी भी धरना प्रदर्शन पर यहां रोक लगा दी है. और कहा है कि अब से जब भी अपने हक में आवाज उठानी हो तो उसके लिए रामलीला मैदान में जाओ.
दरअसल न्यायमूर्ति आरएस राठौर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एनडीएमसी को जंतर-मंतर और उसके आस पास मौजूद सभी अस्थायी ढांचों और लाउडस्पीकरों को हटाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट इस फैसले के पीछे ध्वनी प्रदूषण का हावाला दे रही है आपको बता दें कि जंतर-मंतर से पहले दिल्ली का वोट क्लब प्रदर्शनकारियों का ठिकाना हुआ करता था. जहां पर 80 के दशक में किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने एक विशाल रैली का आयोजन किया था. जिसके बाद कोर्ट ने प्रदर्शन करने की जगह को बदलकर जंतर-मंतर कर दिया था.
NGT के इस फैसले के खिलाफ अब कई सामाजिक संगठन और प्रदर्शनकारियों की आवाज बुलंद होती दिखाई दे रही है. ये सभी संगठन NGT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि प्रदर्शनकारियों के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनके हक की आवाज को बिना जंतर-मंतर के कौन सुनेगा. भले ही सरकार प्रदर्शन के लिए जगह बदल दे. लेकिन लोकतंत्र के सिपाहियों की आवाज को दबा पाना इतना आसान नहीं है.
Reporter/Jr. Sub Editor
