शिमला। हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले कुछ सीटों को आरक्षित करने का मामला जोर पकड़ने लगा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि आजादी के सात दशक बाद भी प्रदेश के कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जो अब तक एक बार भी आरक्षित नहीं हुए हैं. स्थानीय वोटर इसे आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं.
इन्हीं में से एक है सराज विधानसभा क्षेत्र. दरअसल, पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम चच्योट था लेकिन वर्ष 2012 को डिलिमिटेशन के कारण इसे सराज का नाम दिया गया. इस विधानसभा क्षेत्र पर शुरू से ही ठाकुरों का अधिक वर्चस्व रहा है. सिर्फ एक बार ब्राह्मण प्रत्याशी को जीत मिली थी जबकि एससी/एसटी के प्रत्याशी तो कभी यहां नजर भी नहीं आए.
यही कारण है कि सराज विधानसभा क्षेत्र में एससी और एसटी समुदायों से जुड़े लोगों ने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर इस विधानसभा क्षेत्र का एससी या फिर एसटी के आरक्षित करने की मांग उठाई है. लोगों का कहना है कि सराज विधानसभा क्षेत्र में एससी/एसटी का करीब 33 प्रतिशत वोट है और आजादी के बाद एक बार भी इस विधानसभा क्षेत्र को आरक्षित नहीं किया गया है. इन्होंने चुनाव आयोग से इसपर विचार करते हुए इस विधानसभा क्षेत्र को एससी/एसटी के लिए आरक्षित करने की मांग उठाई है.

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