मध्य प्रदेश में हर दिन 7 दलित और आदिवासी महिलाएं बलात्कार की शिकार होती है। मध्य प्रदेश विधानसभा में 29 जुलाई 2025 को विपक्ष के विधायक आरिफ मसूद के सवाल के जवाब में प्रदेश सरकार ने एससी-एसटी महिलाओं के साथ हो रहे यौन अपराध के ये चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं।
राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए आँकड़ें बताते हैं कि साल 2022 से 2024 तक यानी महज तीन सालों में कुल 7418 दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं। यानी हर दिन औसतन 7 महिलाएं बलात्कार की शिकार होती हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो दलित और आदिवासी समाज से आती हैं।
दलित और आदिवासी महिलाओं पर हमला यहीं नहीं रुकता। बल्कि इन तीन सालों में 558 महिलाओं की हत्या और 338 महिलाओं के साथ गैंग रेप की घटनाएं दर्ज हुईं है। जबकि छेड़छाड़ के 5983 मामले दर्ज किये गए हैं। यानी जहां हर रोज सात एससी-एसटी महिलाएं बलात्कार की शिकार हो रही हैं तो पांच छेड़छाड़ की।
यह स्थिति तब है जब मध्य प्रदेश की कुल आबादी का 38 प्रतिशत हिस्सा SC-ST समुदायों से आता है। प्रदेश में SC समाज की आबादी 16 प्रतिशत, तो ST यानी आदिवासी समाज की आबादी 22 प्रतिशत है। इतने बड़े हिस्से के बावजूद अगर ये समुदाय सबसे ज़्यादा असुरक्षित है, तो दोष न केवल व्यवस्था का है, बल्कि उस मानसिकता का भी है जो इन्हें अब भी “कमतर” समझती है। यह प्रदेश की न्याय प्रणाली और पुलिस व्यवस्था की विफलता का एक दर्दनाक प्रमाण है। तो साथ ही सवाल इस समाज पर भी उठता है जो आबादी का 38 फीसदी होने के बावजूद अपने घर और समाज की महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा का पूरी ताकत से विरोध नहीं कर रहा है।