रस्म अदायगी नहीं है स्वतंत्रता दिवस की बधाई

पूरा देश आज स्वतंत्रता दिवस का पर्व मना रहा है। भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर देश एवं विदेश में रहने वाले देशवासियों और अप्रवासी भारतीयों को इस दिवस की बहुत-बहुत बधाई। लेकिन यहां हमें यह समझना होगा कि स्वतंत्रता दिवस पर बधाई केवल रस्म अदायगी नहीं होनी चाहिए। इस दिवस के पीछे छुपे मूल्यों की पड़ताल कर उनको जीवन में धारण करना इस दिवस के पर्व का लक्ष्य होना चाहिए। आइये आज के दिन बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बनाये गए भारत के संविधान में प्रद्दत- समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, सामजिक न्याय एवं धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्यों का पर्व बनाये।

आज के दिन हमें बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा राष्ट्र निर्माण की संकल्पना में दिए गए मूल्यों की भी पड़ताल करनी करनी चाहिए। हमें समझना और समझाना होगा की बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा राष्ट्र निर्माण हेतु बताये गए मार्ग यथा सत्ता, शिक्षा, अर्थ, संसाधन आदि की संस्थाओं में भारत में रह रहे सभी समाजों- यथा- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, धार्मिक अल्पसंख्यक, सामान्य समाज और साथ ही साथ सभी समाजों की महिलाओं को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व देना ही वास्तविक स्वतंत्रता दिवस है।

इन सभी समाजो में से जो समाज सबसे ज्यादा वंचित है, उनको उपरोक्त संस्थाओं में सबसे पहले प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना ही स्वतंत्रता दिवस की मूल भावना होनी चाहिए। आज के दिन हमारे राजनीतिज्ञों, राजनैतिक दलों, कॉर्पोरटे घरानो, मीडिया हाउसेस, विश्वविद्यालयों एवं सामान्य शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों आदि को बहुत ही गंभीरता से सोचना-विचारना चाहिए की आखिर इस देश की संस्थाओं ने पिछले 74 वर्षों में कितना प्रतिशत संवैधानिक लक्ष्य प्राप्त किया है।

हमें यहां, 26 नवंबर 1949, को संविधान सभा को संबोधित करते हुए बाबासाहेब आंबेडकर ने क्या कहा था, यह बात भी याद रखनी चाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि किसी भी देश का संविधान अच्छा या बुरा नहीं होता। अच्छे से अच्छा संविधान बुरा हो जाएगा, अगर उसको चलाने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे। और खराब से खराब संविधान भी अच्छे से अच्छा हो जाएगा अगर उसको चलाने वाले अच्छे होंगे।

आज अगर हम 15 अगस्त 2021 में अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो हमें यह चिंतन करना होगा कि हमने अपने संविधान को कितना सफल बनाया है। और इस पड़ताल का आधार यह होना चाहिए कि हमने संविधान में दिए गए मूल्यों को जमीनी स्तर पर कितना लागू किया है। अगर हम आज के दिन यह पड़ताल नहीं करते हैं तो स्वतंत्रता दिवस का पर्व निरर्थक होगा।

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