नई दिल्ली/ नोएडा। पद्मभूषण से सम्मानित, विश्वप्रसिद्ध मूर्तिकार राम वनजी सुतार अब हमारे बीच नहीं रहे। 18 दिसंबर को नोएडा स्थित उनके आवास पर 100 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद राम सुतार को आज ज़्यादातर मीडिया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जोड़कर याद कर रहा है, लेकिन यह अधूरी और एकतरफ़ा तस्वीर है। सच यह है कि राम सुतार ने अपने शिल्प के ज़रिये बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर को वैश्विक पहचान देने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। वे उन गिने-चुने कलाकारों में थे, जिनके लिए मूर्ति सिर्फ कला नहीं, बल्कि विचार और प्रतिरोध का औज़ार थी।
महाराष्ट्र में जन्म लेने के कारण अंबेडकरी आंदोलन को उन्होंने करीब से देखा-समझा था। उनका जन्म महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदूर गांव में 19 फरवरी 1925 को एक साधारण विश्वकर्मा परिवार में हुआ था। मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से शिक्षा लेने के बाद उन्होंने छह दशकों तक कला को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ जिया। हालांकि उन्होंने अपनी सामाजिक पहचान पर कभी जोर नहीं दिया, लेकिन कमजोर वर्ग में जन्म लेने के कारण दूर से सही, उन्होंने अंबेडकरी आंदोलन को समझा था। ऐसे में जब उन्हें डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा को बनाने का प्रोजेक्ट मिला तो यह उनके लिए भावनात्मक क्षण था।
यूपी की मुख्यमंत्री बनने के बाद सुश्री मायावती ने उन्हें नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल की सारी प्रतिमाओं को बनाने का आग्रह किया, जिसे राम सुतार जी ने खुशी से स्वीकार किया। इस सिलसिले में बहनजी कई बार राम सुतार जी से मिली भी, ताकि प्रतिमाएं शानदार और जीवंत बन सके।
राम सुतार कहा करते थे कि “बाबा साहब की मूर्तियां बनाना मेरे लिए सामाजिक न्याय का प्रतीक गढ़ने जैसा है।”
आज भारत ही नहीं, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो बाबा साहब की प्रतिमाएं हमें दिखाई देती हैं, उनमें से कई राम सुतार की ही कृतियां हैं। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में स्थित 125 फीट ऊंची बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा, भारत की सबसे ऊंची अंबेडकर मूर्ति है। यह सिर्फ एक प्रतिमा नहीं, बल्कि संविधान और समानता का प्रतीक है। इसी तरह मुंबई के दादर स्थित इंदु मिल्स परिसर में बन रही 450 फीट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ राम सुतार का एक और ऐतिहासिक सपना है। पूरा होने पर यह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी और डॉ. अंबेडकर को वैश्विक समानता के प्रतीक के रूप में स्थापित करेगी।
भारत से बाहर भी राम सुतार की बनाई अंबेडकर प्रतिमाएं मौजूद हैं। अमेरिका के मैरीलैंड में स्थित अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में 14 अक्टूबर 2023 को अनावरण की गई स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी, उत्तर अमेरिका में बाबा साहब की पहली आदमकद और सबसे ऊंची प्रतिमा है।
राम सुतार की कला की खास बात यह थी कि उनकी बनाई अंबेडकर प्रतिमाओं में बाबा साहब खड़े हुए, संविधान थामे हुए, आत्मविश्वास से भरे हुए दिखाई देते हैं। यानी एक ऐसे नेता के रूप में जो दया नहीं, अधिकार की बात करता है। उनके कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र भूषण सम्मान से सम्मानित किया था।
राम सुतार को सिर्फ एक “स्टैच्यू मेकर” नहीं, बल्कि बहुजन आंदोलन के शिल्पकार के रूप में याद किया जाए। एक ऐसा शिल्पकार, जिसने बहुजन समाज में जन्म लेकर कला की दुनिया में छा गया। उनकी बनाई मूर्तियां सिर्फ पत्थर नहीं हैं, बल्कि संविधान, संघर्ष और समानता की स्थायी गवाही हैं।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।

