पटना। देश की राजनीति की दिशा तय करने में उत्तर प्रदेश के बाद बिहार का नाम आता है. फिलहाल बंगाल, ओडिसा और तामिलनाडु के अलावा बिहार ऐसा प्रदेश है, जहां भाजपा मुश्किल में है. ऐसे में बिहार में सभी गठबंधन दलों को साथ लाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले दिनों बिहार का दौरा कर नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. लेकिन बिहार एनडीए में घमासान की खबर ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है.
असल में नीतीश कुमार के प्रतिद्वंदी उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने नीतीश कुमार को नेता मानने से इंकार कर दिया है. पिछले दिनों एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कुशवाहा ने कहा था कि एनडीए की बैठक में अगले मुख्यमंत्री और नेता का नाम तय होना चाहिए. बतौर नेता कुशवाहा ने अपनी दावेदारी भी पेश की थी.
अपने नेता के बयान के बाद कुशवाहा की पार्टी ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी के प्रवक्ता सत्येंद्र ने बिहार में फैली अव्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए नीतीश सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि तब बिहार में जंगलराज, हत्या और अपहरण का माहौल था. उससे बिहार को बचाने के लिए नीतीश कुमार उस वक्त की मजबूरी थे. लेकिन अभी बिहार का जो हाल है, उसमें रालोसपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं मानेगी.
आरएलएसपी के प्रवक्ता ने आगे कहा, “नीतीश कुमार जी जनता दल यूनाइटेड के लीडर हो सकते हैं लेकिन एनडीए के लीडर नहीं हो सकते. बिहार में प्रदेश के अंदर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. बिहार में सबसे ज्यादा सांसद बीजेपी के पास है, इसलिए बड़े भाई वो हो सकते हैं. नीतीश कुमार जी बड़े भाई कैसे बन सकते हैं. राष्ट्रीय समता पार्टी नीतीश कुमार को कभी बड़े भाई के रोल में नहीं मानेगी.
दरअसल रालोसपा भाजपा पर अपने नेता उपेन्द्र कुशवाहा को एनडीए का नेता चुनने के लिए दबाव बना रही है. रालोसपा के इस दावे का आधार बिहार का जातीय समीकरण है, जिसमें नीतीश कुमार की जाति का वोट मात्र डेढ़ फीसदी तो कुशवाहा जाति का वोट प्रतिशत 10 फीसदी है.
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