
पटना। बिहार में भी किसानों की हालत खराब है. सोमवार को नालंदा जिला के किसानों ने सड़क पर लौकी को फेंककर सड़क जाम कर दिया. किसानों का कहना है कि इनको लाने में जितना खर्च लग रहा है उतना पैसा भी नहीं मिल पा रहा है. तस्वीरें बता रही हैं कि लौकी का उत्पादन अच्छा खासा हुआ है लेकिन उचित मूल्य ना मिलने का कारण किसान सब्जियों को फेंकने के लिए लाचार हैं.
एक रूपए किलो लौकी
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र ने तस्वीरों को फेसबुक पर शेयर कर किसानों के दर्द को बयां किया है. इनका कहना है कि ये तस्वीरें नालंदा जिले के नूर सराय की हैं. कल जब वहां के सब्जी किसानों को उनके कद्दू (उर्फ लौकी, उर्फ सजमन) की सही कीमत नहीं मिली तो उन्होंने सड़क पर कद्दू फेंक कर जाम लगा दिया. किसानों का कहना था कि पिछले दस दिनों से यही हाल है. कद्दू की कीमत एक रुपये किलो के आसपास मिल रही है. जबकि इससे डेढ़ गुना तो इन्हें बाजार तक लाने में खर्च हो जा रहा है. सरकार की तरफ से खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है, वे क्या करें.
दरअसल, नालंदा का इलाका सब्जियों की खेती के लिए मशहूर है. यहां के किसान छोटी छोटी जोत पर बम्पर उत्पादन करते हैं. मगर पिछले कुछ वक्त से इन्हें लागत के अनुरूप दाम नहीं मिल रहा. सीधे सरकार को भी दोष नहीं दिया जा सकता क्योंकि बिहार में तो अभी तक धान की सरकारी खरीद की व्यवस्था भी मुकम्मल नहीं हो पाई है, सब्जी की खरीद तो बहुत दूर की बात है.
मगर खेती का रकबा निर्धारण का काम सरकार का ही है. अगर हर साल इस मसले पर ढंग से काम हो और सरकार किसानों को सलाह दे सके कि बाजार को देखते हुए उसे किस फसल की खेती करना चाहिये तो किसानों को ऐसी परेशानी नहीं होगी. पिछले दिनों मोकामा टाल के दलहन किसानों ने भी इस मसले पर आंदोलन किया था. मगर दिक्कत यह है कि इन आंदोलनों को न सरकार नोटिस में लेती है, न मीडिया.
बता दें कि देश भर में किसानों की हालत खराब है. इसको लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसान सब्जियों व दूध को फेंककर विरोध जता रहे हैं. साथ ही किसान स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने की मांग पर डटे हैं.
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